बिजली कंपनियों की ओर से प्रदेश की बिजली दर में 18 से 23 फीसदी बढ़ोतरी के लिए दिए गए प्रस्ताव को नियामक आयोग ने स्वीकार कर लिया है। अब इस पर आयोग ने आपत्ति व सुझाव मांगे हैं। अप्रैल से आम जनता के बीच सुनवाई होगी। मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह तक नई दरों के एलान की तैयारी है।
इस बीच बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर राज्य उपभोक्ता परिषद ने विरोध शुरू कर दिया है। परिषद का कहना है कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का करीब 25,133 करोड़ रुपये जमा हैं। ऐसे में किसी भी कीमत पर बिजली दरें नहीं बढ़नी चाहिए।
प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से वर्ष 2023-24 की दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता में औसत 18 से 23 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया गया है। विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य वीके श्रीवास्तव की पीठ ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।
प्रस्ताव में घरेलू उपभोक्तओं की बिजली दरों में लगभग 18 से 23 प्रतिशत तक वृद्धि प्रस्तावित है। अन्य विद्युत उपभोक्ताओ की दरों में औसत 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव है। उद्योगों की बिजली दरों में भी 16 फीसदी तक वृद्धि प्रस्तावित की है। सभी बिजली कंपनियों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता लगभग 92547 करोड़ है। वितरण हानियां 14.9 प्रतिशत हैं। वर्ष 2023-24 का अंतराल 9140 करोड है।