लॉकडाउन में एक अनोखी प्रेम कहानी सामने आयी। जिसने हिन्दुओ की जाति-धर्म की दीवार को तोड़ दिया। यह मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले का है जहा की एक युवती ने मां के नक्शे कदम पर चलते हुए जाति-धर्म की दीवार को तोड़ कर हिंदू रीति रिवाज के साथ सात फेरे लिए। इलाके में इस शादी की चर्चा हर कोई कर रहा है। पूरा मामला जिले के डलमऊ कोतवाली अंतर्गत गफूरपुर जलालाबाद मजरे भरसना गांव का है।
यह अनोखी प्रेम कहानी आयशा और महेंद्र द्विवेदी के बीच की है। रवि शंकर नाम का युवक काम के सिलसिले में मुम्बई गया था, जहां उसकी मुलाकात आयशा पुत्री रहमत अली शेख से हुई। इस दौरान दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा और इसी लॉकडाउन में दोनों ने एक होने की ठान ली। जैसे ही अनलॉक वन की शुरूआत हुई दोनों रायबरेली आ गए। आयशा ने हिन्दू धर्म ग्रहण कर अपना नाम माही रखा और फिर दोनों ने हिन्दू रीति-रिवाज से परिजनों की मौजूदगी में सात फेरे लिए। इस दौरान पंडित जी ने मंत्रोच्चारण कर दोनों का विवाह सम्पन्न करवाया।
दरअसल, कई वर्ष पूर्व आयशा की मां छाया ने प्रेम प्रसंग में रहमत अली शेख से निकाह कर मुम्बई चली गयी थी, जहां पर उसने आयशा को जन्म दिया। पर कहते है न कुदरत का खेल निराला होता है। इस बार बेटी आयशा को अपनी मां के ही गांव के रहने वाले महेन्द्र द्विवेदी से मुम्बई में प्यार हो गया। और उसने रायबरेली आकर हिन्दू धर्म स्वीकार करते हुए माही बनकर महेन्द्र के साथ सात फेरे लिए।
बता दें कि डलमऊ कोतवाली क्षेत्र के भरसना स्थित अवधूत आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी राघव दास जी महाराज के सम्पर्क में बचपन से ही वर वधू के परिवारीजन थे। स्वामी जी की दो सप्ताह पूर्व इन प्रेमी जोड़ो से मुलाकात हुई। दोनों ने अपनी इच्छा स्वामी जी को बताई। जिसके बाद स्वामी जी ने दोनों के परिजनों से बात की और सर्व समाज के लोगों से बातचीत कर आपसी सहमति बनाई। जिसके बाद लोगों के सहयोग से रविवार को शहर के गायत्री शक्ति पीठ में विवाह सम्पन्न करवाया गया। इस विवाह में दूर-दराज के लोगों ने भी बढ़कर सहभागिता कर आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया।