राष्ट्रपति को भारत के मुख्य न्यायाधीश के उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने की प्रथा पर सवाल उठाते हुए स्वामी ओम (अब मृतक) और मुकेश जैन ने 2017 में एक याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि रकम की वसूली तक उन्हें शीर्ष अदालत में कोई जनहित याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने जैन की ओर से लगाई गई याचिका दायर करने के लिए जुर्माने को कम करने के आवेदन पर भी गौर किया।
शीर्ष अदालत ने जुर्माने की राशि में कमी के उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 2017 में जैन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था
जैन की ओर से पेश उनके अधिवक्ता एपी सिंह ने कहा कि उनके पास कोई जमीन नहीं है और दूसरे मामले में जमानत मिलने के बाद उन्हें अदालत में पेश होने के लिए कहा जाना चाहिए।
अधिवक्ता ने कहा कि राज्य में पुरी रथ यात्रा से संबंधित पिछले साल प्रसारित एक कथित व्हाट्सएप संदेश के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और उनके खिलाफ तीन और मामले दर्ज किए गए थे।