- देश में जारी लॉकडाउन इस महीने के अंत के बाद नहीं बढ़ाया जाता है,
- तो देश में कोरोना मामलों की संख्या जुलाई मध्य में चरम पर पहुंच सकती है।
- स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर गिरिधर बाबू ने किया यह दावा।
- हालांकि यह भी कहा कि दो महीने तक कंटेनमेंट जैसे उपायों के कारण लॉकडाउन हटाने के बावजूद कोरोना मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी।
- उन्होंने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक, इसमें कई बदलाव भी हो सकते हैं।
- केवल समय के साथ ही पता चल पाएगा कि यह कितना प्रभावी होगा
- और लॉकडाउन बढ़ाने के इस पर क्या असर पडे़गा।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर गिरिधर बाबू ने यह दावा किया है। प्रोफेसर ने कहा- यदि 30 मई को लॉकडाउन को हटा लिया जाता है तो तीन इनक्यूबेशन अवधि यानी जुलाई मध्य तक कोरोना मामले अपने चरम पर पहुंच जाएंगे, फिर लोगों को पता चलेगा कि यह बगैर नियंत्रण के यह बीमारी किस तरह फैलती है।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार (21 मई) को कहा कि भारत में कोविड-19 के कारण मृत्युदर 3.06 है, जबकि वैश्विक मृत्युदर 6.65 है। मंत्रालय ने इसके लिए समय पर मामलों की पहचान और उचित क्लीनिकल प्रबंधन को श्रेय दिया। देश में बृहस्पतिवार को कोविड-19 के मामलों की संख्या बढ़कर 1,12,359 हो गई, जबकि इसके कारण जान गंवाने वालों की संख्या 3,435 पर पहुंच गई।
मंत्रालय ने कहा कि मृत्यु के मामलों के विश्लेषण से पता चलता है कि संक्रमण से मरने वालों में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं हैं। मृतकों को आयु के आधार पर बांटते हुए मंत्रालय ने बताया कि मौत के 0.5 प्रतिशत मामले 15 साल से कम आयु के बच्चों के हैं, 2.5 प्रतिशत मामले 15 से 30 साल की उम्र के बीच के, 11.4 प्रतिशत मामले 30 से 45 साल के बीच के, 35.1 प्रतिशत मामले 45-60 आयुवर्ग के और 50.5 प्रतिशत मामले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के हैं।
मंत्रालय ने बताया कि मौत के 73 प्रतिशत मामलों में अन्य गंभीर बीमारियां भी साथ थीं। 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और अन्य बीमारियां वालों को कोविड-19 के लिहाज से उच्च जोखिम वाले समूह में रखा गया है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”संक्रमण के मामलों में भारत में मृत्युदर 3.06 प्रतिशत है, जो वैश्विक मृत्युदर 6.65 प्रतिशत की तुलना में बहुत कम है। यह समय पर मामलों का पता लगाने और उनके उचित क्लीनिकल प्रबंधन की दिशा में हमारे प्रयासों को दर्शाता है।
देश में लॉकडाउन कितना असरदायक रहा
एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने कहा कि लॉकडाउन का अच्छा असर दिखा है। जिस रफ्तार में केसेज बढ़ने चाहिए थे उससे बहुत कम है। हम कुछ हफ्ते पहले कहां पर थे और आज कहां पर हैं, इसके ग्रोथ की तुलना दूसरे देशों से करें तो हम बेहतर स्थिति में हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन ने हमें काफी समय दिया है, न केवल स्थिति को नियंत्रण करने में बल्कि तैयारी करने का भी मौका मिला है। इसके खिलाफ हमारी तैयारी पहले से बेहतर स्थिति में है। आज हमारे पास कोविड के लिए हॉस्पिटल है, आईसीयू है, वेंटिलेटर आ गए हैं। यहां तक कि इलाज में लगे डॉक्टरों की ट्रेनिंग हो चुकी है। पहले देश भर में हर रोज एक से दो हजार टेस्टिंग हो पाती थी, आज हर रोज 80 से 90 हजार तक टेस्ट हो रहे हैं। जैसे-जैसे मामले बढ़ेंगे उसके अनुसार तैयारी भी की जाएगी।