March 27, 2023

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अब इस देश ने लगाया शराब पर प्रतिबंध! शराबी या नशे की हालत में होने पर ढाई करोड़ तक का हो सकता है जुर्माना….

मुस्लिम बहुल देश इराक की सरकार ने शराब बैन करने का बड़ा फैसला किया है. हालांकि, शराब बैन का कानून लागू होते ही इराक में काफी संख्या में लोगों ने इसका विरोध जताना शुरू कर दिया है. शराब पर प्रतिबंध के बाद इराक के अल्पसंख्यक इस कानून को असंवैधानिक बताते हुए विरोध कर रहे हैं. कई विश्लेषकों का कहना है कि यह कानून इराक को इस्लामिक देश बनाने की दिशा में उठाया गया एक कदम है.

दरअसल, इराक में 95 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम हैं और यह शिया बहुल देश है. इसके बावजूद इराक जनतांत्रिक और धार्मिक विविधता वाला देश है. मिडिल ईस्ट की वेबसाइट अल-मॉनिटर के अनुसार, मध्य पूर्व एशिया स्थित देश इराक ने 4 मार्च को सभी मादक पदार्थों के आयात, उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा दिया है.

इस प्रस्ताव को इराक ने 2016 में ही पारित कर दिया था लेकिन उस समय धर्मनिरपेक्षतावादियों और अल्पसंख्यकों की कड़ी आपत्तियों के कारण इसको लागू नहीं किया जा सका था. नए कानून के तहत इसके उल्लंघन पर 1 करोड़ से लेकर 2.5 करोड़ दिनार तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

हालांकि, कानून लागू होने के बाद भी राजधानी बगदाद, एरबिल और देश के अन्य कई हिस्सों में शराब की दुकानें अभी भी खुली हुई हैं. लेकिन कुछ इराकी, खासकर यजीदी और ईसाई समुदाय के लोग इस कानून पर चिंता जाहिर कर रहे हैं.

इराक को इस्लामिक देश बनाने की कोशिशः विश्लेषक

इराक एक धार्मिक विविधता वाला देश है. इराक में सबसे ज्यादा शिया और सुन्नी मुसलमान रहते हैं. लेकिन ईसाई, यजीदी, जोरास्ट्रियन, मांडियन और अन्य समुदाय के लोग भी रहते हैं. कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह कानून इराक को इस्लामिक देश बनाने की दिशा में उठाया गया एक कदम है.

अंकवा स्थित चाल्डियन कैथोलिक शहर के एक कार्यकर्ता दीया बुट्रोस ने अल-मॉनिटर से बात करते हुए कहा कि यह गैर-मुस्लिम धर्मों के अधिकारों का उल्लंघन है. यह उन धर्मों के अधिकारों का उल्लंघन है जो शराब की मनाही नहीं करते हैं.

इराकी राजनीतिक विश्लेषक अली साहब का कहना है कि इराक इस्लामिक देश नहीं है. कुछ धर्म शराब पीने की अनुमति देते हैं. ऐसे में सरकार दूसरे धर्मों के लोगों पर एक निश्चित राय या विचारधारा नहीं थोप सकती है. यजीदी और ईसाई धर्म में शराब के सेवन की मनाही नहीं हैं. यहां तक कि कुछ समुदाय के लोग इसका उपयोग अपने धार्मिक अनुष्ठानों में भी करते हैं.

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