June 9, 2023

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धधक उठा मणिपुर! हिंसा के बीच सेना तैनात !इंटरनेट भी बंद 8 जिलों में भारी……

मणिपुर जल रहा है. आदिवासी एकता मार्च के दौरान बुधवार को हुई हिंसा में आठ जिले चपेट में आ गए हैं. यहां धारा 144 लागू कर दी गई है. राज्य में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है.

इतना ही नहीं, सेना और असम राइफल्स के जवान भी फ्लैग मार्च कर रहे हैं. मणिपुर में असम राइफल्स की 34 और सेना की 9 कंपनियां तैनात हैं. इनके अलावा गृह मंत्रालय ने रैपिड एक्शन फोर्स की भी पांच कंपनियों को मणिपुर भेज दिया है. हालांकि, इसके बावजूद मणिपुर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह से बात की है. उन्होंने केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का भरोसा दिया है. मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.

बताया जा रहा है कि अब तक साढ़े सात हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा चुका है. हालात को देखते हुए आठ जिलों- इम्फाल वेस्ट, काकचिंग, थौबाल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसके अलावा, पूरे राज्य में अगले पांच दिन के लिए मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. हालांकि, ब्रॉडबैंड सर्विसेस चालू रहेंगी

मणिपुर की क्या है स्थिति?

  • पूरा मणिपुर 22,327 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. इसका 2,238 वर्ग किमी यानी 10.02% इलाका ही घाटी है. जबकि 20,089 वर्ग किमी यानी 89% से ज्यादा इलाका पहाड़ी है.
  • यहां मुख्य रूप से तीन समुदाय हैं. पहला- मैतेई, दूसरा- नागा और तीसरा- कुकी. इनमें नागा और कुकी आदिवासी समुदाय हैं. जबकि, मैतेई गैर-आदिवासी हैं.
  • मैतेई हिंदू हैं. जबकि नागा और कुकी से आने वाले ज्यादातर लोग ईसाई हैं. नागा और कुकी को राज्य में अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल है.
  • इन तीनों के अलावा यहां मुस्लिम आबादी भी है. साथ ही यहां गैर-आदिवासी समुदाय से आने वाले मयांग भी हैं जो देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर यहां बसे हैं.

बवाल किस बात पर?

  • इस सारे बवाल की जड़ को ‘कब्जे की जंग’ भी माना जा सकता है. इसे ऐसे समझिए कि मैतेई समुदाय की आबादी यहां 53 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन वो सिर्फ घाटी में बस सकते हैं.
  • वहीं, नागा और कुकी समुदाय की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और वो पहाड़ी इलाकों में बसे हैं, जो राज्य का 90 फीसदी इलाका है.
  • मणिपुर में एक कानून है, जिसके तहत आदिवासियों के लिए कुछ खास प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत, पहाड़ी इलाकों में सिर्फ आदिवासी ही बस सकते हैं.
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