लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को नौकरी से न निकालने की गुहार भले ही प्रधानमंत्री लगा रहे हों, लेकिन चंडीगढ़ में हकीकत जुदा है। यहां वेतन का भुगतान किए बिना ही कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। प्रशासन की हेल्पलाइन 112 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराने के बाद भी कोई मदद नहीं मिल रही। ऐसा ही एक किस्सा मलोया का है जहा रहने वाली निर्मला सेक्टर-47सी के एक मॉड्युलर किचन के शोरूम में चाय बनाने का काम करती थीं।
लॉकडाउन हुआ तो घर बैठ गईं। कई बार फोन करने पर शोरूम मालिक ने उन्हें दो हजार रुपये दिए जबकि वेतन साढ़े 10 हजार बनता है। निर्मला की बेबसी प्रशासन के सभी दावों की पोल खोलती है।
उन्होंने बताया कि वह पिछले 6 साल से उस शोरूम के मालिक के पास काम कर रही थीं। पति की मृत्यु हो चुकी है और घर में चार बेटियां व एक बेटा है।
घर का खर्च उनके वेतन से ही चलता है। बताया कि मार्च महीने में काम करने के बाद महीना खत्म हुआ तो वह अपने वेतन का इंतजार करती रहीं लेकिन उन्हें मार्च महीने की तनख्वाह नहीं मिली। कई बार फोन करने पर शोरूम के मालिक ने उनसे बैंक खाता मांगा। पहले एक हजार रुपये देने की बात कही। विरोध किया तो बैंक खाते में 2000 रुपये डाले। जब निर्मला ने पूरा वेतन मांगा तो शोरूम मालिक ने नौकरी पर नहीं आने की बात कहकर फोन काट दिया। इस मामले पर प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
नौकरी से निकालने की बात कहकर फ़ोन काटा
निर्मला ने बताया कि उनके खाते में 2000 रुपये आये, उसमें से भी 500 रुपये बैंक चार्जिंग की वजह से कट गए। निर्मला ने बताया कि जब उन्होंने मालिक को दोबारा फोन कर बताया कि 2 हजार से उनका खर्चा नहीं चल पाएगा क्योंकि घर का राशन खत्म हो गया है और गैस सिलिंडर भी भरवाना है। इस पर शोरूम मालिक भड़क गया और भेजे हुए पैसों को भी वापस कर देने की बात कही। शोरूम मालिक ने साफ कह दिया कि आगे से नौकरी पर आने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने 112 नंबर पर शिकायत की। पुलिसकर्मी भी आए।
ऐसे सैकड़ों कर्मचारी, जो हो गए बेरोजगार
चंडीगढ़ लेबर वेलफेयर बोर्ड की सदस्य ईशा अरोड़ा ने बताया कि मलोया की निर्मला का मामला अकेला नहीं है। शहर में ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जिन्हें वेतन नहीं मिला है और मांगने पर उन्हें नौकरी से निकाला गया है। प्रशासन ने मजदूरों के हेल्पलाइन जारी किए लेकिन निर्मला का मामला प्रशासन के दावों की पोल खोलता है कि उन्होंने 112 नंबर पर कॉल किया इसके बावजूद उनकी मदद नहीं की गई। रोजाना लोगों की नौकरियां जा रही हैं, प्रशासन को जल्द बोर्ड के साथ मिलकर ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए।