आज के पैकेज में फिर वित्त मंत्रालय की मरहम लगाने की कोशिश, जानिए क्या क्या हुआ

लॉकडाउन की वजह से सुस्त हुई अर्थव्यवस्था और आम लोगों को राहत देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की दूसरी किस्त का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को किया। वित्त मंत्री ने प्रवासी मजदूरों, फेरीवालों, छोटे कारोबारियों और किसानों के लिए कई घोषणाएं की हैं। किसानों को सस्ता कर्ज दिया जाएगा तो प्रवासी मजदूरों को 2 महीने तक मुफ्त राशन देने का ऐलान किया गया है। मिडिल क्लास के लिए हाउजिंग लोन सब्सिडी योजना को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। शहरी गरीबों और प्रवासी मजदूरों के लिए सस्ते किराये के घर उपलब्ध कराने की भी घोषणा की गई है।  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज छोटे किसानों, प्रवासी मजदूर, स्ट्रीट वेंडर्स, छोटे कारोबारियों आदि के लिए एलान होंगे। तीन माह लोन मोरेटोरियम सुविधा के साथ तीन करोड़ किसानों ने कुल 4.22 लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर लोने के लिए आवेदन किया। किसानों को ब्याज पर सहायता दी गई है। साथ ही 25 लाख नए किसान क्रेडिट कार्ड को मंजूरी दी है। कृषि के क्षेत्र में मार्च और अप्रैल में 63 लाख कर्ज मंजूर किए गए, जो लगभग 86,600 करोड़ रुपये के हैं। कॉरपोरेटिव और क्षेत्रीय रूरल बैंक के लिए मार्च 2020 में नाबार्ड ने 29,500 करोड़ रुपये के रीफाइनेंस का प्रावधान किया है। ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए  राज्यों को मार्च में 4200 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए। 

13 मई तक मनरेगा के तहत 14.62 करोड़ व्यक्तियों को काम दिया गया। अब तक इस पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 1.87 लाख ग्राम पंचायतों में 2.33 करोड़ लोगों को काम दिया गया। पिछले साल मई की तुलना में 40-50 फीसदी कामगार बढ़े हैं। इनके लिए मजदूरी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दिया गया है। 

मुद्रा शिशु लोन के माध्यम से लगभग तीन करोड़ लोगों को लाभ मिलने वाला है, जो 1,500 करोड़ रुपये के करीब होगा। उनकी ब्याज दर में सरकार दो फीसदी की छूट दे रही है। इसका खर्चा मोदी सरकार उठाएगी। गरीब से गरीब लोगों को इसका लाभ मिलेगा। 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा राज्य सरकारों को अनुमति दी है कि वे आपदा के लिए रकम का इस्तेमाल कर प्रवासी मजदूरों के लिए खाने और रहने का इंतजाम करें। ये राज्यों का अधिकार है कि वह इसे कैसे इस्तेमाल करें। शहरी बेघर गरीब हैं। उनके लिए केंद्र सरकार की ओर से व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए 11 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं। एक दिन में शेल्टर होम्स में प्रति व्यक्ति के लिए तीन मील्स दी गईं। साथ ही दो महीनों में 7200 नए एसएचजी शुरू हुए हैं।

सरकार सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन तय करने का प्रयास कर रही है। न्यूनतम वेतन का लाभ लगभग 30 फीसदी कर्मचारी उठा पाते हैं। इसमें राज्यों के बीच न्यूनतम वेतन में अंतर को खत्म किया जाएगा। इसे वैधानिक रूप दिया जाएगा। सभी मजदूरों को नियुक्ति पत्र मिलेंगे और साल में एक बार हेल्थ चेकअप होगा। असंगठित क्षेत्र को सोशल सेक्योरिटी स्कीम का लाभ मिलेगा। मजदूरों के लिए ईएसआईसी सुविधा को लागू किया जाएगा। महिलाओं को अगर रात्रि में काम करना पड़ता है, तो उनके लिए अलग-अलग तरह के सेफगार्ड लाए जाएंगे।

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