कांग्रेस ने मोदी सरकार के 6 साल पूरे होने पर गिनाए छह झूठ-कहा- हर मोर्चे पर विफल रही सरकार!!

  • कांग्रेस (Congress) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को याद रखना होगाा कि बढ़ चढ़ कर किए गए वादों पर खरा उतरना ही असली कसौटी है,
  • लेकिन ढोल नगाड़े बजाकर बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आई यह सरकार देश को सामान्य रूप से चलाने की एक छोटी सी उम्मीद को भी पूरा करने में विफल रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने दूसरे कार्यकाल के 1 साल पूरा होने के मौके पर लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से देश के नाम एक पत्र लिखा है, जिसको लेकर कांग्रेस उनके खिलाफ हमलावर हो गई है. कांग्रेस (Congress) ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार के सातवें साल की शुरुआत में भारत एक ऐसे मुकाम पर आकर खड़ा है, जहां देश के नागरिक सरकार द्वारा दिए गए अनगिनत घावों व निष्ठुर असंवेदनशीलता की पीड़ा सहने को मजबूर हैं.

पिछले छः सालों में देश में भटकाव की राजनीति और झूठे शोरगुल की पराकाष्ठा मोदी सरकार के कामकाज की पहचान बन गई है. दुर्भाग्यवश, भटकाव के इस आडंबर ने मोदी सरकार की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा तो किया, परंतु देश को भारी सामाजिक व आर्थिक क्षति पहुंचाई.

कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद रखना होगाा कि बढ़ चढ़ कर किए गए वादों पर खरा उतरना ही असली कसौटी है, लेकिन ढोल नगाड़े बजाकर बड़े बड़े वादे कर सत्ता में आई यह सरकार देश को सामान्य रूप से चलाने की एक छोटी सी उम्मीद को भी पूरा करने में विफल रही है तथा इनके पास उपलब्धि के नाम पर शून्य है.

रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार (Modi Government 2.o) पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो अपनी साधारण पृष्ठभूमित की तो बार-बार बात करते हैं, लेकिन उनके कार्यकाल ने ये साबित कर दिया कि उन्हें जनमानस की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है. सुरजेवाला ने कहा कि इससे ज्यादा चिंता की बात तो ये है कि उनमें आम लोगों के प्रति जिम्मेदारी व जवाबदेही का पूर्णत: अभाव है. कांग्रेस ने इस मौके पर मोदी सरकार की छह भ्रांतियां गिनाईं.

1. सरकार की जीडीपी का मतलब ग्रॉसली डिक्लाईनिंग परफॉर्मेंस

मोदी सरकार हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के वादे के साथ सत्ता में आई, लेकिन 2017-18 में भारत में पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर रही (6.1 प्रतिशत – शहरी भारत में 7.8 प्रतिशत एवं ग्रामीण भारत में 5.3 प्रतिशत). कोविड के बाद भारत की बेरोजगारी दर अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 27.11 प्रतिशत हुई .(सीएमआईई). मोदी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी का मतलब हो गया है – ‘ग्रॉसली डिक्लाईनिंग परफॉर्मेंस’ यानि ‘लगातार गिरता प्रदर्शन’.

2.‘मित्रों का साथ, भाजपा का विकास’

मोदी सरकार के छः साल में साबित हो गया है कि उनकी प्राथमिकता केवल मुट्ठीभर अमीर मित्रों की तिजोरियां भरना है. चंद अमीरों से सरोकार और गरीब को दुत्कार ही सरकार का रास्ता बन गया है. अमीर और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब, जरूरतमंद एवं कमजोर वर्ग के लोगों को बेसहारा छोड़ दिया गया है. भारत में ‘आय की असमानता’ 73 सालों में सबसे अधिक है. (क्रेडिट स्विस रिपोर्ट)

3. असंवेदनशीलता तथा नेतृत्व की विफलता

प्रवासी मजदूरों के संकट ने मौजूदा सरकार की असंवेदनशीलता तथा नेतृत्व की विफलता को उजागर किया है. विरोधी विचारों को कुचलना: विपक्षी दलों या विपक्षी दलों की सरकार वाले राज्यों से न तो कोई वार्ता की जाती है और न ही कोई विचार विमर्श. भाजपा के खिलाफ विचार रखने वाले सभी राजनैतिक नेताओं, आलोचकों, लेखकों, विचारकों, पत्रकारों का योजनाबद्ध उत्पीड़न किया जा रहा है. सीबीआई, ईडी और आईटी का दुरुपयोग कर विरोधी विचार रखने वालों पर झूठे व प्रेरित मामलों को दर्ज कराया जाना इस सरकार की प्रवृत्ति वर्तमान सरकार की बन गई है.

4. जवाबदेही और पारदर्शिता का अभाव

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया में फैली कोरोना महामारी के दौरान, पीएम केयर्स फंड में एक बिलियन डॉलर से ज्यादा की राशि एकत्र कर लेने के बाद भी प्रधानमंत्री जी ने इसका कोई भी विवरण देने और डिटर जनरल से ऑडिट करवाने से इंकार कर दिया.

5. सरकार का अहंकार गरीब की पीड़ा से कहीं बड़ा

मौजूदा संकट के समय कमजोर वर्ग की पीड़ा को दूर किए जाने के लिए पैसा इस्तेमाल करने की बजाए उस धनराशि से 1,10,000 करोड़ रु. के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट या 20,000 करोड़ रु. के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चालू रखना इस बात का सबूत है कि सरकार का अहंकार गरीब की पीड़ा से कहीं बड़ा है.

6. मोदी सरकार के छह साल छल की कहानी

पिछले 6 सालों में प्रधानमंत्री जी की तरफ से एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की गई. जनता के प्रति जवाबदेह होने का अभिनय या दिखावा तक नहीं किया गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस की जगह प्रपोगंडा एवं झूठे आंकड़ों ने ले ली है. मोदी सरकार के छः साल ‘अन्नदाता’ किसान के साथ बार बार हुए छल की कहानी कहते हैं.

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