इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 17 मार्च 2025 के फैसले में, न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने 11 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुई घटना में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354B और POCSO अधिनियम की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि पीड़िता के स्तनों को पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना महिला की गरिमा पर आघात तो है, लेकिन इसे बलात्कार का प्रयास नहीं कहा जा सकता।
इस फैसले पर समाज के विभिन्न वर्गों और विधिज्ञों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी और मामले की सुनवाई के लिए 26 मार्च 2025 की तारीख तय की।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम इस प्रकार के संवेदनशील मामलों में सख्त और उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।