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बाहुबली अतीक अहमद की संपत्ति की कुर्की हुई शुरू- जानिए तांगेवाले का लड़का अतीक कैसे बना बाहुबली…

प्रयागराज
बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद की संपत्तियों की शुरू हुई कुर्की
पुलिस प्रशासन की टीमें एक साथ अतीक के 7 संपत्तियों को कुर्क करने पहुँची
सिविल लाइंस ,खुल्दाबाद और धूमनगंज इलाके में शुरू हुई कार्यवाई
कुर्की की कार्यवाई में अतीक अहमद का घर और कार्यालय भी शामिल
डीएम ने 28 अगस्त तक सात संपत्तियों को कुर्क करने का दिया आदेश

तांगावाले का लड़का कैसे बना बाहुबली

प्रयागराज तब इलाहाबाद हुआ करता था. इलाहाबाद में उन दिनों नए कॉलेज बन रहे थे. उद्योग लग रहे थे. खूब ठेके बंट रहे थे. नए लड़कों में अमीर बनने का चस्का लगना शुरू हो गया था. वो अमीर बनने के लिए कुछ भी करने को उतारू थे. कुछ भी मतलब कुछ भी, हत्या और अपहरण भी. इलाहाबाद में एक मोहल्ला है चकिया. साल था 1979. इस मोहल्ले का एक लड़का हाई स्कूल में फेल हो गया. पिता उसके इलाहाबाद स्टेशन पर तांगा चलाते थे, लेकिन अमीर बनने का चस्का तो उसे भी था. 17 साल की उम्र में हत्या का आरोप लगा और इसके बाद उसका धंधा चल निकला. खूब रंगदारी वसूली जाने लगी. नाम था अतीक अहमद. फिरोज तांगावाले का लड़का.

चांद बाबा का समय

पुराने शहर में उन दिनों चांद बाबा का खौफ हुआ करता था. पुराने जानकार बताते हैं कि पुलिस भी चौक और रानीमंडी की तरफ जाने से डरती थी. अगर कोई खाकी वर्दी वाला चला गया तो पिट कर ही वापस आता. लोग कहते हैं कि उस समय तक चकिया के इस 20-22 साल के लड़के अतीक को ठीक-ठाक गुंडा माना जाने लगा था. पुलिस और नेता दोनों शह दे रहे थे. और दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाह रहे थे. इसके लिए खौफ के बरक्स खौफ को खड़ा करने की कवायद की गई. और इसी कवायद का नतीजा था अतीक का उभार, जो आगे चलकर चांद बाबा से ज्यादा पुलिस के लिए खतरनाक होने वाला था.

दिल्ली से फोन आया और अतीक छूट गया 

2017 में अखिलेश को चुनाैती देते हुए अतीक ने कहा, ”कई बार निर्दलीय जीता हूं. टिकट कटता है तो कट जाए. अपना टिकट खुद बना लूंगा”

निर्दलीय विधायकी का चुनाव लड़ा

लेकिन अब अतीक पुलिस के लिए नासूर बन चुका था. वो उसे ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहती थी. अतीक को भी भनक लग गई थी. एक दिन भेष बदलकर अपने एक साथी के साथ कचहरी पहुंचा. बुलेट से. और एक पुराने मामले में जमानत तुड़वाकर सरेंडर कर दिया. जेल जाते ही पुलिस उसपर टूट पड़ी. उसके खिलाफ एनएसए लगा दिया. बाहर लोगों में मैसेज गया कि अतीक बर्बाद हो गया. लोगों में सहानुभूति पैदा हो गई. एक साल बाद अतीक जेल से बाहर आ गया. जेल से बाहर आते ही उसने इस सहानुभूति का फायदा उठाया. साथ मिला उसी कांग्रेसी सांसद का, जिसकी वजह से वो ज़िंदा बच पाया था. लेकिन अब बचने के लिए सियासत ही काम आ सकती थी. और ऐसा ही हुआ. 1989 में यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए. इलाहाबाद पश्चिमी से अतीक ने निर्दलीय पर्चा भरा.

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