सुप्रीम कोर्ट: प्रवासी मजदूरों की गतिविधियों पर सरकार करे आवश्यक कार्रवाई

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को प्रवासी मजदूरों के मामले पर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि देश भर में प्रवासी मजदूरों की गतिविधियों की निगरानी करना या उन्हें रोकना असंभव है। अदालत ने कहा कि सरकार को इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।

बता दें कि कोरोना और लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को जान जोखिम में डालते हुए भूखे पेट ही मिलों का सफर तय करना पड़ रहा है। पुलिस-प्रशासन भी उनकी पीड़ा को सुनने के बजाए उन्हें लाठियां फटकार कर इधर से उधर दौड़ा रहा है। भूखे-प्यासे ये प्रवासी मजदूर मजबूरन जंगलों और खेतों के रास्ते से ही पैदल सफर कर रहे है। जिससे उनके साथ कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। बल्कि कई सड़क दुर्घटनाओं में मजदूरों ने जान भी गंवाई हैं।

प्रशासन ने प्रवासी मजदूरों को इस दर्द से उबारने के लिए जगह-जगह आश्रय स्थल खुलवाए। उनमें उनके ठहरने और खान-पान की व्यवस्था कराई। उन्हें घर पहुंचाने के लिए बस सेवा भी शुरू कराई, लेकिन यहां भी लाचार और बेबस मजदूरों का दुर्भाग्य ने पीछा नहीं छोड़ा। प्रवासी मजदूरों का आरोप है कि पहले हरियाणा के प्रशासन ने उनके साथ ज्यादती की और रही सही कसर बागपत के पुलिस प्रशासन ने पूरी कर दी। वे हरियाणा बॉर्डर पर मदद की गुहार लगाते हुए पहुंचे, तो हरियाणा के अधिकारियों ने उन्हें वहां से भगा दिया। वे हरियाणा से यमुना नदी को पार कर बागपत पहुंचे, तो यहां के प्रशासन ने भी उन्हें वापस लौट जाने के निर्देश दे दिए।

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