Join WhatsApp Group Join WhatsApp Group

अब जमातियों के दिए प्लाज्मा से हो रहा है मरीजों का उपचार- जिनको बताया था मौत का जिम्मेदार’अब वही बचा रहे हैं जान!

  • दिल्ली के तीन अस्पतालों में प्लाज्मा का ट्रायल शुरू,
  • रमजान में दस तब्लीगी जमातियों ने किया रक्तदान.
  • .प्लाज्मा तकनीक के प्रयोग से अब तक काफी सफल परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
  • इसी ट्रायल की वजह से देश का पहला मरीज ठीक होकर अपने घर भी जा चुके है।
  • करीब और 200 जमाती करेंगे ब्लड डोनेट

कोरोना महामारी को लेकर जिस तरीके से देश में हंगामा खड़ा हुआ था।और मरकज़ निजामुद्दीन को कोरोनावायरस ‌ अड्डा बताया जा रहा था।उसी मरकज निजामुद्दीन के तरफ से एक अच्छी खबर सामने आ रही है मरकज निजामुद्दीन से जुड़े लोग अब खुद आगे आकर प्लाज्मा दे रहे हैं, और दूसरे कोरोना मरीजों के लिए ढाल बन रहे हैं।

जिसको लेकर देशभर में उन लोगों की सराहना की जा रही है, साथ ही ट्विटर पर ट्रेंड पर चल रहा है हमें जमातियों पर गर्व है

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को गंभीर स्थिति से बाहर निकालने के लिए प्लाज्मा तकनीक पर जोरों से काम चल रहा है। इसके लिए तब्लीगी जमात के दस लोगों ने अपना प्लाज्मा दान किया है। यह लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और सुलतानपुरी तथा नरेला सेंटरों में इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं। इनकी कोरोना रिपोर्ट दो बार निगेटिव रिपोर्ट मिलने पर इन्हें छुट्टी दे दी गई।

रमजान के पाक महीने में इन लोगों ने दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए रक्तदान किया है।सोमवार को तब्लीगी जमातियों ने आईएलबीएस अस्पताल में प्लाज्मा दान की है। कोरोना संक्रमित होने के बाद इन्होंने पहले उसकी जंग को जीता। इसके बाद दो बार निगेटिव रिपोर्ट मिलने पर इन्हें छुट्टी दे दी गई। अब इन लोगों ने बाकी मरीजों की सेवा के लिए रक्त दान करने का फैसला लिया।

सोमवार को करीब 8 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है। दिल्ली के तीन अस्पतालों में प्लाज्मा तकनीक पर काम चल रहा है। एम्स, मैक्स अस्पताल के अलावा लोकनायक अस्पताल में भर्ती 10 से ज्यादा मरीजों पर प्लाज्मा तकनीक से उपचार दिया जा रहा है। 

दरअसल प्लाज्मा तकनीक के लिए सबसे पहले एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जिसे संक्रमण हो चुका होता है। संक्रमण से ठीक होने के बाद यह व्यक्ति दूसरे संक्रमित मरीज के लिए रक्तदान दे सकता है। रक्तदान करते वक्त प्लाज्मा निकालने वाली मशीन की मदद ली जाती है जिसके जरिए व्यक्ति के रक्त से प्लाज्मा निकलता है और रक्त वापस शरीर में जा सकता है। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि दाता के पास दो कोरोना निगेटिव रिपोर्ट हों, साथ ही वह हार्ट या अन्य किसी तरह की बीमारी से ग्रस्त न हो। 

प्लाज्मा तकनीक के प्रयोग से अब तक काफी सफल परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इसी ट्रायल की वजह से देश का पहला मरीज ठीक होकर अपने घर भी जा चुके है। लोकनायक अस्पताल में भर्ती पांच मरीजों पर ट्रायल चल रहा है जिनकी स्थिति काफी नियंत्रण में हैं। इनमें से दो मरीज अब वेंटिलेटर से बाहर आ चुके हैं। 

Share
Now