राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि हम भगवान जय श्रीराम का जोर से नारा लगाते हैं, लेकिन उनके जैसा हमें बनना भी चाहिए। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, ‘हम बहुत जोर से जय श्री राम का नारा लगाते हैं और लगाना भी चाहिए।
लेकिन हमें उनके जैसा बनना भी चाहिए। हम सोचते हैं कि वो तो भगवान थे। भरत जैसे भाई पर प्रेम करना तो भगवान ही कर सकते हैं, हम नहीं कर सकते। ऐसी सोच सामान्य आदमी की रहती है। इसलिए वे उस राह पर नहीं चल पाते।’ उन्होंने कहा कि अपना स्वार्थ छोड़कर लोगों की भलाई करने का काम कठिन होता है।
मोहन भागवत ने कहा कि परहित पर चलने की राह बताने वाले महापुरुषों की बड़ी संख्या हमारे यहां है। दुनिया में जितने महापुरुष अब तक हुए होंगे, उससे ज्यादा तो हमारे यहां 200 सालों में ही हुए हैं। उन्होंने हमें राह दिखाई है कि स्वार्थ को छोड़कर कैसे काम किया जा सकता है
लेकिन उन्होंने यह भी दिखाया कि कितने कांटे इस मार्ग में है। इसलिए हम उस राह पर नहीं जा पाते। यही नहीं उन्होंने कहा कि आजादी के बाद के 75 वर्षों में जितना आगे बढ़ना चाहिए था, हम उतना आगे नहीं बढ़े। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे, उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़े।