क्या आप इजरायल के साथ है या फिलस्तीन की आज़ादी के साथ?

अजीब सवाल है यह कि आप एक ऐसे मुल्क के साथ है जिसकी बुनियाद ही ना इंसाफी, जुल्म और तशादूद हो। गाजा पट्टी, जिसको उन्होने एक जेलखाना बना दिया और वहां पर रहने वाले हर नागरिक की जिंदगी को वह कीड़े मकोड़े की जिंदगी समझकर बस कुचल देना चाहते हैं। उनके नागरिकों की जिंदगी अमूल्य है और फिलस्तीनी जिंदगी बेमोल। यह सरासर ना इंसाफी है और इस ना इंसाफी को फिलस्तीन का बच्चा बच्चा बर्दाश्त नहीं करता वो इस जुल्म के खिलाफ इंतीफादा करता है चाहे उसमे उसकी जान चली जाए उसका परिवार खत्म हो जाए या उसके घर पर बॉम्बर्डमेंट कर दिया जाए उसका जुल्म के खिलाफ अज्म बढ़ता है इसलिए वो हस्ते हस्ते कलमा पढ़ते हुए जान देते हैं वो मस्जिद अक्सा की हिफाज़त के लिए अपना सब कुछ निछावर करने के लिए इजराइल की फौज से टकरा जाते है उनका एक एक बच्चा मुजाहिद है और सलाहुद्दीन अय्यूबी की तरह इतिहास में अपनी छाप छोड़ कर जाना चाहता हैं कि बैतुल मकदिस उम्मत मुस्लिमा की अमानत है और उसकी की हिफाज़त के लिए शहादत की मौत उसके लिए एक वरदान है यही जिंदा कौमों की पहचान होती है। कोई मुकाबला नहीं दुनिया के एक ऐसे देश का जिसके पास दुनिया की सबसे एडवांस टेक्नोलॉजी हो, हथियार हो, डिफेंस सिस्टम हो, न्यूक्लियर पावर हो वो एक चंद मुठ्ठी भर दीवानों से जंग कर रहा है जिनको सारी दुनिया हमास के नाम से जानती है कि जो बार्डर में घुसे तो पैदल भाग रहे हैं उनके पास गाड़ी भी नही है, आर्मी भी नही, टैंक भी नही, इजराइल की चौकी पर कब्जा कर दीवानों की तरह बस भाग रहे है। क्या मुकाबला है इजराइल की एडवांस फौज और फिलस्तीन के इन लड़ाकू सिर फिरे जवानों का? जो इस हालात में भी अल्लाहु अकबर के नारे लगाते हुए इजराइल के बार्डर तोड़ कर अंदर घुस रहे हैं और इजराइल के डिफेंस सिस्टम को तार तार कर रहे हैं जबकि इजराइल की एयर फोर्स गाजा पट्टी में लगातार बॉम्बर्डमेंट कर रही है। इस हालत में भारत के यह इंसाफ पसंद जनता किसके साथ खड़े हो जो आसमान से मौत बरसा रहा हो या निहत्थे फिलस्तीनी नागरिकों के साथ। यह एक बड़ा सवाल है।

अगर आप इंसाफ की बात करते हैं तो आप फिलस्तीन के असहाय लोगों के साथ अपने आप को पाते हैं और बाकी तो सारी दुनिया ताक़त के आगे नतमस्तक होती हैं मगर सच्चाई यह है कि इजराइल का फिलस्तीन से कोई मुकाबला नहीं है मिसाईल और गुलेल का क्या मुकाबला हो सकता है मगर लाख कोशिशों के बाद भी इजराइल फिलस्तीन के एक बच्चे के अज्म को भी झुका नही पाया है और यही उनकी शान है मरहबा।

आने वाला वक्त एक तबहकुन जंग की तरफ इशारा कर रहा है जिसकी शुरुआत शायद मध्य एशिया से होगी जिसमे इतना विनाश होगा कि अगर एक नफीस परिंदा भूख के कारण जमीन पर गिरेगा तो वहां भी इंसानी लाश होगी। यह हालात का चक्र शायद बहुत तेज़ी से इस तरफ बढ़ रहा हैं। अल्लाह सबकी हिफाज़त फरमाए।

आपका,
खुर्शीद अहमद,
37, प्रीति एनक्लेव माजरा देहरादून।

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