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61 वर्ष की उम्र में युवाओं की तरह दौड़ती है दादी- सड़क हादसे में ..

जोधपुर. कहते है कि प्रतिभा के आगे उम्र कोई मायने नहीं रखती। यदि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है। हमारी जिंदगी का हर पल इम्तिहानों से भरा होता है। कदम-कदम पर मुश्किलों का सामना होता है, लेकिन सामना करने वालों के कदमों में जहां होता है। ये कहना है जोधपुर की सिमरन महेश शर्मा का। भले ही सिमरन की उम्र 63 साल है, लेकिन आज भी उनकी प्रतिभा के आगे लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।

बचपन से थी खेल के प्रति रूचि
सिमरन महेश शर्मा का जन्म जोधपुर में 5 जुलाई 1958 को हुआ था। वे 4 बहनों और 3 भाइयों में से एक हैं। उनकी शुरुआती पढाई सेंट पैट्रिक्स विद्या भवन से हुई। खेल के प्रति बचपन से रूचि होने से उन्होंने एथलिट को चुना और तैयारी के लिए ट्रेक पर पहुंच गई। वे जोधपुर के रेलवे स्टेडियम में पै्रक्टिस करती थी। उन्होंने 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़ व लॉन्ग जंप में लगातार चार साल राजस्थान स्टेट बेस्ट एथलिट का खिताब अपने नाम किया।

सिमरन ने वर्ष 1975 में आयोजित नेशनल गेम्स में 100 मीटर दौड़, 200 मीटर दौड़ व लॉन्ग जंप में गोल्ड मैडल जीता। वहीं वर्ष 1978 में उन्होंने हेप्टाथलॉन में नेशनल मैडल जीता। सिमरन ने वर्ष 1979 में अपने समय के स्टेट बेस्ट मिडिल डिस्टेंस रनर इंजीनियर महेश शर्मा के साथ शादी कर नए जीवन की शुरूआत की। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर वर्ष 1989 में जोधपुर का पहला फिटनेस सेंटर भी खोला। वहीं सिमरन ने अपने परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए तीस वर्ष की उम्र में खेलना बंद कर दिया।

तीस साल बाद की वापसी
कहते हैं कि खिलाड़ी कभी बूढ़ा नहीं होता। खुद को साबित करने व युवा खिलाडिय़ों को प्रेरित करने के लिए सिमरन ने पति की प्रेरणा से एक बार फिर 60 वर्ष की उम्र में मैदान की ओर रुख किया। उन्होंने वर्ष 2019 में अजमेर में आयोजित वेटरन एथलीट प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़, शॉट पुट (गोला फेक) व लम्बी कूद में तीन गोल्ड मैडल जीतकर एक बार फिर शानदार वापसी की।

पति से किया वादा निभाना है लक्ष्य
जाने माने धावक व कोच महेश शर्मा की अक्टूबर 2020 में सड़क हादसे में मृत्यु होने के बाद सिमरन ने अपने आप को आघात से उबारा और पति से किया वादा निभाने में जुट गई। वे आगामी प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए सुबह-शाम निरंतर ग्राउंड में अभ्यास कर रही हैं। उन्होंने बताया कि पति से वादा किया था कि एक बार फिर राष्ट्रीय पदक जीत कर उन्हें भेंट करूंगी। उसी वादे को पूरा करने में जुटी हुई हूं।

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