समुद्र में लहरें उठती हैं । कहीं बीच समुद्र में उठती हैं। यह लहरें छोटी भी होती हैं, बड़ी भी होती हैं। ताकतवर भी होती हैं , कमजोर भी होती हैं।इन्हीं लहरों में कहीं भलाई छुपी है तो कहीं नुकसान भी छुपा है। सभी लहरें एक दिशा में नहीं जाती। कहीं बीच में पैदा होकर, कहीं अंदर से पैदा होकर अलग-अलग दिशा में जाती हैं। यह सब कुछ ना समुद्र के बस में है और ना ही लहरों के बस में।
संसार में भी ऐसे ही लहरें उठती रहती हैं। छोटी लहरें , बड़ी लहरें। अलग-अलग दिशा में जाने वाली लहरें । लाभ पहुंचाने वाली लहरें। नुकसान पहुंचाने वाली लहरें।
एक हद तक ये सांसारिक लहरें भी किसी के बस में नहीं हैं। लेकिन फिर भी हैं , हैं , हैं बस में। ईश्वर ने मनुष्य को विवेक दिया है, इन लहरों पर नियंत्रण पाने के लिए, इन्हें छोटी या बड़ी करने के लिए। इनकी दिशा तय करने के लिए।
ईश्वर हमें बार-बार कहता है , कह रहा है कि मैंने तुम्हें संसार दे दिया है , विवेक दे दिया है । अब तुम जानो और तुम्हारा काम जाने ।