नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र आज, 24 मार्च 2025 से शुरू हो रहा है, लेकिन उससे पहले मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक अनोखी सियासी चाल चली है। सीएम ने ‘खीर सेरेमनी’ का आयोजन किया, जिसमें डॉक्टरों से लेकर ऑटो चालकों तक, समाज के हर वर्ग को आमंत्रित किया गया। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि यह आयोजन न सिर्फ बजट सत्र से पहले जनता के बीच सरकार की सकारात्मक छवि बनाने की कोशिश है, बल्कि विपक्ष के हमलों को कुंद करने की पहले से तैयार रणनीति का हिस्सा भी है।
सीएम रेखा गुप्ता ने इस मौके पर कहा, “हमारी सरकार दिल्ली की जनता से किए हर वादे को पूरा करेगी। खीर सेरेमनी के जरिए हमने लोगों से सीधा संवाद किया और उनके सुझावों को बजट में शामिल करने की कोशिश की है।” बीजेपी नेताओं का दावा है कि इस बजट में यमुना सफाई, रोजगार, प्रदूषण नियंत्रण और पार्किंग जैसी समस्याओं के समाधान पर जोर होगा। पार्टी को उम्मीद है कि यह ‘खीर वाली राजनीति’ दिल्ली की जनता का मुंह मीठा करने के साथ-साथ विपक्ष की बोलती भी बंद कर देगी।
लेकिन यह सियासी मिठास विपक्ष को रास नहीं आई। पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और रेखा गुप्ता ने दिल्ली की महिलाओं से 2500 रुपये महीने का वादा किया था। कहा था कि पहली कैबिनेट बैठक में इसे पास कर 8 मार्च तक पहली किश्त दे दी जाएगी। लेकिन आज तक, न योजना पास हुई, न महिलाओं के खाते में पैसे आए। बीजेपी की यह खीर जनता को बहलाने की नौटंकी है।”
आतिशी ने आगे तंज कसते हुए कहा, “खीर बांटने से पहले बीजेपी को अपने वादों की मिठास पर ध्यान देना चाहिए था। जनता अब समझ चुकी है कि ये ‘मोदी की गारंटी’ सिर्फ जुमला है।” आप का आरोप है कि बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से अब तक इस वादे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, और अब बजट सत्र में भी इसे टालने की तैयारी है।
दिल्ली की सड़कों से लेकर सोशल मीडिया तक, इस खीर और 2500 रुपये के वादे की चर्चा जोरों पर है। एक ऑटो चालक रामलाल ने कहा, “खीर तो अच्छी थी, लेकिन हमें रोजगार और साफ हवा चाहिए, न कि सिर्फ मिठास।” वहीं, बीजेपी समर्थक शालिनी शर्मा का कहना था, “रेखा जी ने अभी सरकार संभाली है, उन्हें वक्त देना चाहिए। हर वादा एक दिन में पूरा नहीं हो सकता।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की यह ‘खीर सेरेमनी’ एक सोची-समझी रणनीति है, जिसका मकसद बजट सत्र से पहले जनता का ध्यान बांटना और विपक्ष के हमलों को कमजोर करना है। लेकिन आतिशी के तेवर देखकर लगता है कि यह सियासी मिठास विपक्ष को कड़वी लग रही है, और आने वाले दिनों में यह जंग और तेज होगी। बजट सत्र में क्या बीजेपी अपने वादों की मिठास को हकीकत में बदल पाएगी, या यह खीर सिर्फ दिखावे तक सीमित रहेगी- यह देखना बाकी है।
अभिजीत शर्मा, दिल्ली ब्यूरो