स्वामी प्रेमानंद ने किया स्वामी रोटीराम महाराज व सिसोलर वाले महाराज की दिव्यता का वर्णन

(हमीरपुर सुमेरपुर)। वृंदावन के चर्चित संत स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में उत्तर भारत के दो महान संतों गायत्री तपोभूमि सुमेरपुर में साधनारत रहे स्वामी रोटीराम जी और सिसोलर वाले परमहंस महाराज की दिव्यता और सिद्धता की चर्चा कर उनके करोड़ों भक्तो को गौरवान्वित किया है। वीडियो के माध्यम से दोनों संतो की सिद्धता और महानता का वर्णन सुनकर सुमेरपुर क्षेत्र के भक्त विशेष हर्ष का अनुभव कर रहे है।
स्वामी प्रेमानंद जी ने प्रवचन में कहा कि स्वामी रोटीराम महाराज सिद्ध संत थे। बताया कि वह वहीं बोलते थे जो सामने वाले के आचरण में होता था। गलत आचरण के लोग उनके सामने जाने से डरते थे। वे रात 9 बजे झोपडी के अंदर बनी गुफा में समाधिस्थ हो जाते थे और सुबह 9 बजे बाहर आते थे।
ब्रह्मलीन होने के पहले उन्होंने वहां मौजूद भक्तों से कहा था हम जा रहे हैं। फिर वह ब्रह्मलीन हो गए थे। उनके जीवन और शिक्षाओं ने जनपद के अनेक भक्तों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि सिसोलर वाले परमहंस महाराज स्वामी रोटीराम जी के गुरु भाई और जीवन मुक्त संत थे। जब उन्हें स्वामी रोटीराम जी के ब्रह्मलीन होने का समाचार मिला। तो वे इतने व्यथित हुए कि 20 वर्षों तक एक ही स्थिति में साधनारत रहे। उनकी दिव्यता का यह आलम था कि सुबह उनकी पादुकाएं गंगा जल से गीली और उनके शरीर पर रेणुका लगी मिलती थी। उन्होंने बताया कि उन्हें भी यह सुनकर आश्चर्य हुआ था तो सिसोलर पैदल चल कर गए थे और दर्शन लाभ प्राप्त किया था। यह दृश्य भक्तों के लिए उनके ईश्वर से जुड़े होने का स्पष्ट प्रमाण था। स्वामी प्रेमानंद जी ने अपने प्रवचन में इन महान संतों की महिमा का वर्णन करते हुए उनके चमत्कारी और प्रेरणादायक जीवन का स्मरण कराया। उन्होंने बताया कि सिसोलर वाले महाराज और स्वामी रोटीराम महाराज जी ने अपनी साधना और तप से सुमेरपुर और सिसोलर सहित न जाने कितने स्थलों को पवित्र बनाया। हमीरपुर की पवित्र भूमि इन महान संतों की साधना और तपस्या से अलंकृत है। स्वामी रोटीराम महाराज जी और सिसोलर वाले महाराज जैसे संतों ने अपने जीवन के आदर्शों और शिक्षाओं से समाज को एक नई दिशा दी। यह प्रसन्नता का विषय है कि आज भी उनके साधक उनकी शिक्षाओं का अनुसरण कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को सार्थक बना रहे हैं

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