
वन नेशन-वन इलेक्शन पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने निशाना साधा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर, 2023 – पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने वन नेशन-वन इलेक्शन (ओएनओई) पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर एक साथ चुनाव कराने पर राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति नहीं बनती है तो इसे लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए।
कुरैशी ने कहा, “ओएनओई एक अच्छा विचार हो सकता है, लेकिन यह केवल तभी संभव है जब सभी राजनीतिक दलों और राज्यों की सहमति हो। अगर सहमति नहीं है तो इसे लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि ओएनओई के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी, जो एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है।
कुरैशी ने आगामी चुनावों में आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में सख्ती से कार्रवाई करने की उम्मीद भी जताई।
चुनावों के इतिहास और प्रक्रियाओं पर कुरैशी की नई किताब
कुरैशी ने हाल ही में अपनी नई किताब “इंडियाज एक्सपेरिमेंट विद डेमोक्रेसी: द लाइफ ऑफ ए नेशन थ्रू इट्स इलेक्शन्स” प्रकाशित की है। इस किताब में उन्होंने भारत में चुनावों के इतिहास, प्रक्रियाओं और राजनीति पर गहराई से प्रकाश डाला है।
किताब में कुरैशी ने मुफ्त की सौगातों के वादे, राजनीतिक फंडिंग और आचार संहिता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की है।
चुनावों में मुफ्त की सौगातों के वादे पर कुरैशी का बयान
कुरैशी ने कहा कि कोई पार्टियों द्वारा मुफ्त की सौगातों के वादे करने में कानूनी तौर पर खामी नहीं तलाश सकता। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस प्रथा को खत्म नहीं करा सका।
चुनावों में राजनीतिक फंडिंग पर कुरैशी का बयान
कुरैशी ने चुनावी बांड के इस्तेमाल किए जाने पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि इसने धन देने की पूरी प्रक्रिया को पूरी तरह गैर पारदर्शी बना दिया है।
कुरैशी ने कहा, “साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि जब तक दलों को धन देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होगी, तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं। लेकिन उन्होंने चुनावी बांड पेश करके थोड़ी बहुत बची पारदर्शिता भी खत्म कर दी।”
कुरैशी के बयानों का क्या मतलब है?
कुरैशी के बयानों से यह संकेत मिलता है कि वह ओएनओई के पक्ष में नहीं हैं। वह मानते हैं कि ओएनओई केवल तभी संभव है जब सभी राजनीतिक दलों और राज्यों की सहमति हो।
कुरैशी के बयान चुनावों में मुफ्त की सौगातों के वादे और राजनीतिक फंडिंग के मुद्दों पर भी चिंता व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा कि ये मुद्दे चुनावों की निष्पक्षता को खतरे में डाल सकते हैं।