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सियासी उठापटक के बीच पायलट का पहला इंटरव्यू- बोले मेरी गहलोत से कोई नाराजगी नहीं- अफवाह ना फैलाएं BJP में नहीं जाऊंगा….

  • पायलट ने कहा कि राज्य पुलिस ने मुझे एक नोटिस दिया-जिसमें राजद्रोह के आरोप थे-जिससे मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची
  • सचिन पायलट ने कहा- मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुस्सा नहीं हूं, न ही किसी तरह का पद या पावर चाहता हूं
  • बीजेपी में शामिल होने की बात पूरी तरह से गलत है: सचिन

राजस्थान में पिछले 5 दिन से चल रहे सियासी घमासान के बीच सचिन पायलट पहली बार सामने आए। उन्होंने न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा- मैं साफ कर दूं कि भाजपा में शामिल नहीं हो रहा हूं। मैं भाजपा के किसी नेता से नहीं मिला हूं। करीब छह महीने में सिंधिया से भी नहीं मिला हूं। 

मैं इस समय कह सकता हूं कि अपने लोगों के लिए काम करना जारी रखूंगा। पायलट ने कहा कि राज्य पुलिस ने मुझे एक नोटिस दिया, जिसमें राजद्रोह के आरोप थे। जिससे मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंची।

कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी से मेरी कोई बात नहीं हुई है। प्रियंका गांधी जी ने मुझसे फोन पर बात की थी, यह एक व्यक्तिगत बातचीत थी। 

हम राजद्रोह कानून के विरोधी-यह मेरे खिलाफ ही इस्तेमाल किया गया

पायलट ने कहा कि यदि आपको 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी का मैनीफेस्टो याद है, तो हमने ड्रैकियन राजद्रोह कानून का खंडन करने की बात की थी। यहां कांग्रेस सरकार अपने ही मंत्री के खिलाफ इसे इस्तेमाल कर रही थी। मेरा कदम अन्याय के खिलाफ एक आवाज थी। 

मुझे राजस्थान के विकास करने की इजाजत नहीं थी

मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुस्सा नहीं हूं, न ही किसी तरह का पद या पावर चाहता हूं। हमने अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाई। वसुंधरा राजे सरकार पर अवैध खनन की लीज को खत्म करने का दबाव बनाया। वहीं, सत्ता में आने के बाद मैं चाहता था कि चुनावों में जनता से किए गए वादे पूरे किए जाएं, लेकिन गहलोत जी ने कुछ नहीं किया है। वे भी उसी रास्ते पर चल दिए। 

मुझे राजस्थान के विकास का काम करने की इजाजत नहीं थी पायलट ने कहा मुझे और मेरे साथ कार्यकर्ताओं को राजस्थान के विकास के लिए काम करने की अनुमति नहीं दी। अधिकारियों को मेरे निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए कहा गया था, फाइलें मेरे पास नहीं भेजी गईं।  कैबिनेट की बैठकें महीनों तक नहीं होती थीं। ऐसे पद का क्या मतलब जहां बैठकर में जनता से किए वादे पूरे नहीं कर सकता? इसके बारे में कई बार अविनाश पांडे और पार्टी के बड़े नेताओं को भी जानकारी दी, गहलोत जी से भी बात की, लेकिन बैठकें ही नहीं होती थीं।

जब मंत्रियों और विधायकों की बैठक ही नहीं होती बात कहां रखें? 
पार्टी में ही अपनी बात उठाने पर पूछे गए सवाल के जवाब में पायलट ने कहा, मैंने कई बार इन मसलों को सभी के सामने रखा। मैंने प्रभारी अविनाश पांडे और अन्य वरिष्ठ नेताओं से बात की, खुद अशोक गहलोत से इस मसले पर बात की है. लेकिन जब मंत्रियों और विधायकों की बैठक ही नहीं होती थी, तो बहस और बातचीत की जगह ही नहीं बची थी

अब आगे क्या ?
पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अब आगे क्या करेंगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जरा माहौल को शांत होने दीजिए…अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं अभी भी कांग्रेस कार्यकर्ता हूं. मुझे अपने समर्थकों के साथ अपने कदम पर चर्चा करनी है’। 

सिर्फ मुख्यमंत्री बनने की बात नहीं, मुझे साइडलाइन करना शुरू कर दिया 
राजसथान के मुख्यमंत्री पद को लेकर पायलट ने कहा कि ये सिर्फ मुख्यमंत्री बनने की बात नहीं है, मैंने मुख्यमंत्री पद की बात तब की थी जब मैंने 2018 में पार्टी की जीत की अगुवाई की थी। मेरे पास सही तर्क थे। जब मैंने अध्यक्ष पद संभाला तो पार्टी 200 में से 21 सीटों पर आ गई थी. पांच साल के लिए मैंने काम किया और गहलोत जी ने एक शब्द भी नहीं बोला। लेकिन चुनाव में जीत के तुरंत बाद गहलोत जी ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया। जबकि 2018 से पहले वो दो बार मुख्यमंत्री बने हैं, दो चुनाव में उनकी अगुवाई में पार्टी 56 और 26 पर आ पहुंची थी। राहुल के कहने पर मैं डिप्टी सीएम भी बन गया। तब राहुल गांधी ने सत्ता का बराबर बंटवारा करने की बात कही थी, लेकिन गहलोत जी ने मुझे साइडलाइन करना शुरू कर दिया। 

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