दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को अधिकारियों के तबादले का अधिकार मिले अभी आठ दिन ही हुए थे कि केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये यह अधिकार फिर उपराज्यपाल को सौंप दिए। केंद्र सरकार ने दिल्ली में अफसरों के तबादले-नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन किया है। मुख्यमंत्री प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होंगे, जबकि दिल्ली के प्रधान गृह सचिव पदेन सदस्य-सचिव होंगे। मुख्य सचिव भी इसके सदस्य होंगे। यही प्राधिकरण सर्वसम्मति या बहुमत के आधार पर तबादले की सिफारिश करेगा, पर आखिरी फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल का होगा। मुख्यमंत्री तबादले का फैसला अकेले नहीं कर सकेंगे।
दानिक्स कैडर के समूह-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी यही प्राधिकरण अधिकृत होगा। केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें तबादले-नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया था। बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था, उपराज्यपाल राज्य कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं। वे कैबिनेट के फैसले में बदलाव नहीं कर सकते। इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने अब अध्यादेश जारी कर उपराज्यपाल को पहले की तरह फिर से असीमित शक्तियां दे दीं।
केंद्र के विषयों से जुड़े अधिकारियों का तबादला नहीं
अध्यादेश के मुताबिक, प्राधिकरण दिल्ली सरकार के मामलों में सेवारत दानिक्स के सभी समूह ‘ए’ अधिकारियों के स्थानांतरण व नियुक्ति की सिफारिश कर सकेगा, पर केंद्र सरकार के विषयों से जुड़े अधिकारियों का तबादला नहीं कर पाएगा।
यह दिया तर्क
केंद्र सरकार ने अध्यादेश में इस फैसले की वजह बताई है…इसमें कहा गया है कि दिल्ली की स्थिति बेहद खास है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान और प्राधिकारी जैसे राष्ट्रपति, संसद, सुप्रीम कोर्ट मौजूद हैं। विदेशी राजनयिकों का आगमन होता रहता है। इसलिए यहां प्रशासन में उच्च गुणवत्ता का होना राष्ट्रीय हित में है।