कानपुर संरक्षण गृह केस : बालगृह में छह गर्भवती संवासिनियों की उम्र 18 साल से कम…

कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर स्वरूप नगर के बालिका संरक्षण गृह में 2 नहीं बल्कि 7 नाबालिग लड़कियों के प्रेग्नेट होने की पुष्टि हुई है। जिससे यहां एक ओर प्रशासन में खलबली मच गई तो वहीं दूसरी ओर सियासत भी शुरू हो गई है। वहीं इस मामले पर जिला प्रशासन का कहना है कि सभी नाबालिग लड़किया बालिका संरक्षण गृह में लाए जाने से पहले ही गर्भवती थी।

57 लड़कियां कोरोना संक्रमित निकली, जिनमें से 7 गर्भवती
बता दें कि योगी सरकार के आदेश के बाद कोरोना की जांच जब संरक्षण गृह में पहुंची तो इस बात का खुलासा हुआ। संरक्षण गृह की 57 लड़कियां कोरोना संक्रमित निकली, जिनमें से 7 गर्भवती हैं। प्रेग्‍नेंट युवतियों में से 5 में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई है। प्रेग्‍नेंट लड़कियों में से एक किशोरी 8 माह और दूसरी साढ़े 8 माह की गर्भवती है।

प्रशासन की ओर से की गई जांच में चौंकाने वाला खुलासा।

यहां रह रहीं 171 में से सात गर्भवती और 57 कोरोना संक्रमित निकली हैं। अहम बात है कि इनमें से एक को छोड़कर बाकी की उम्र 18 साल से कम है। एसपी पश्चिम के मुताबिक गर्भवती सात किशोरियों में से पांच को घर वालों ने ठुकरा दिया था तो दो ने घर जाने से ही इनकार कर दिया था, ऐसे में सभी को बालिका गृह भेज दिया गया था। पूरे मामले की रिपोर्ट मीडिया के साथ शासन को भी भेज दी गई है।

प्रशासन के रिकॉर्ड के मुताबिक बालिका गृह लाने से पहले सभी गर्भवती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां दाखिल कराने से पहले पुलिस ने इनका मेडिकल कराया था। रिपोर्ट में ये गर्भवती थीं। यह भी दावा किया गया कि किशोरियों को भी प्रेग्नेंसी का पता था। पुलिस अब यह तथ्य का पता लगा रही है कि बालिका गृह लाए जाने के पहले से किशोरियां कितने माह के गर्भ से थीं। रिकॉर्ड रूम से मेडिकल रिपोर्ट तलब की गई है।

मामले ने तूल तब पकड़ा जब संवासिनी गृह में कोरोना पॉजिटिव की संख्या तेजी से बढ़ी। एक के संक्रमित मिलने के बाद जब सभी के सैंपल लिए गए तो 57 संवासिनियां वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुकी थीं। सात गर्भवती में पांच पॉजिटिव तो दो की रिपोर्ट निगेटिव आई है। आठ माह की गर्भवती दो किशोरियों को हैलट तो तीन को रामा कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

5 गर्भवती ने कोर्ट में कहा था, घर नहीं जाना चाहते
पुलिस के मुताबिक पांच गर्भवती किशोरियां ऐसी थीं जो अपने पुरुष मित्र के साथ ही रहना चाहती हैं। उन्होंने कोर्ट में परिजनों के साथ जाने से इनकार कर दिया तो बालिका गृह भेज दिया गया। दो मामलों में परिजनों ने अदालत के सामने कह दिया था कि उनका बेटियों से कोई वास्ता नहीं है। इस कारण उन्हें संवासिनी गृह भेजना पड़ा।

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