लॉकडाउन में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने निकाला हल, जानिए कैसे होगी अब शूटिंग

मुंबई में कोरोना पीड़ितों की लगातार बढ़ती संख्या और शहर से मजदूरों के बढ़ते पलायन ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। फिल्मों और टेलीविजन सीरियल्स की शूटिंग बंद हुए दो महीने होने को हैं और आगे भी मुंबई में शूटिंग जल्द शुरू होती नही दिखती। तो फिर इस साल सवा दो खरब रुपये तक पहुंचने की उम्मीदें लगा चुके भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग का भविष्य क्या होगा? दशकों से हिंदी सिनेमा की सांस बने रही फिल्म संगीत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी वाली कंपनी सारेगामा (पूर्व नाम एमएमवी) की फिल्म प्रोडक्शन विंग यूडली फिल्म्स ने इसका हल निकाला है।

यूडली फिल्म्स ने अपनी पहली ही फिल्म अज्जी से तीन साल पहले पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा। और तब से यूडली फिल्म्स कनपुरिए, म्यूजिक टीजर, अखूनी, के डी जैसी अलग अलग भारतीय़ भाषाओं में करीब 15 फिल्में बना चुकी है। उनकी दो फिल्में शूटिंग के लिए बिल्कुल तैयार हैं। सिद्धार्थ बताते हैं, “हमारी दो फिल्में कागज पर पूरी तरह तैयार हैं। हम सिर्फ लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। हम ये फिल्में मुंबई के बाहर खुले में शूट करना चाहते हैं सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों के पालन के साथ। किसी फिल्म की शूटिंग के समय तकरीबन सौ, सवा सौ लोगों की यूनिट रहती है। हमने मल्टीटास्किंग को अपना नया मंत्र बनाया है और यूनिट में शामिल लोगों की संख्या घटाकर 60 कर दी है।

लेकिन, मौजूदा हालात को देखते हुए क्या ये 60 लोग भी साथ काम कर सकेंगे? और अगर कोई कोरोना संक्रमित हुआ तो क्या वो बाकी लोगों को संक्रमित नहीं कर देगा? इन सवालों पर सिद्धार्थ अपनी कंपनी की स्थिति साफ करते हैं, “इस समय इंडस्ट्री में तमाम तरह के मानक बनाने की कोशिश चल रही है। हम जो करना चाहते हैं वो ये कि हमारे सारे कलाकार और पूरी यूनिट शूटिंग के 10 दिन पहले रिपोर्ट करेगी। ये लोग सेल्फ क्वीरंटीन में रहेंगे। इस दौरान किसी की तबीयत बिगड़ी तो उसे हम घर भेज देंगे। बाकी लोग तय समय पर शूटिंग शुरू कर सकेंगे। हमने ये भी तय किया है कि फिल्म के काम से दफ्तर या लोकेशन पर आने वालों को हम टैक्सी की सुविधा प्रदान करेंगे, किसी भी कलाकार या कर्मचारी को बस या लोकल ट्रेन में सफर करने को हम नहीं कहेंगे।”

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