बिहार सरकार की तरफ से तमाम दावों के बाद भी राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था पर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार भागलपुर के मायागंज अस्पताल में डीप फ्रीजर की सफाई नहीं होने से शवों को बाहर ही रखा जा रहा है। 72 घंटे में ही एक शव के खराब हो जाने के बाद उसे पोटली में लेकर श्मशान घाट पहुंचाया गया..
खबर के अनुसार 17 जून को एक अज्ञात की मौत के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जीआरपी ने मॉर्चरी में रखवा दिया। 20 जून तक उसकी पहचान की कवायद हुई लेकिन कोई जानने वाला सामने नहीं आया। इस बीच फ्रीजर से बाहर रहने पर शव खराब हो गया। मंगलवार को उसे पोटली में लेकर श्मशान घाट तक पहुंचाना पड़ा। शव के अंतिम संस्कार में भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, अंत में विद्युत शवदाह गृह में पोटली समेत ही अंतिम संस्कार किया गया।
बताते चलें कि कोरोना संकट के दौर में भी कई बार भागलपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होते रहे हैं। एक अन्य खबर के अनुसार जिले में पांच ऑक्सीजन प्लांट लगने है लेकिन अभी मात्र एक प्लांट पर ही काम किया जा रहा है। मायागंज अस्पताल में एक प्लांट का काम 90 फीसदी पूरा हुआ है।
एक का केवल फांउडेशन का कार्य हुया है जबकि तीन अन्य पर काम शुरू होना अभी बाकी है। हालांकि अस्पताल के अधीक्षक असीम दास का कहना है कि कार्य तेजी से चल रहा है। दो-दो ऑक्सीजन प्लांट लग रहे हैं। पाइपलाइन का कार्य भी तेजी से चल रहा है।
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री और बक्सर से सांसद अश्विनी कुमार चौबे का भी पूर्व में कार्यक्षेत्र भागलपुर ही रहा है। चौबे कई बार भागलपुर सदर से विधायक भी हुए थे। तथा नीतीश कुमार की सरकार में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का पद भी उन्होंने संभाला था। लेकिन फिर भी भागलपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं।