देहरादून- फिर दहेज की बलि चढ़ी एक बेटी! अब , न्याय के लिए दर-दर भटकती मां…

: भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने की पूरी कवायद चल रही है। सरकार के मुताबिक अगर बात की जाए तो महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाना है। और वही दूसरी तरफ अभी तक का सबसे फायर ब्रैंड नारा बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ जिसे सुनकर तो बस यही लगता है कि बेटियों पर सारे जुल्म खत्म,अब बस बेटियां बिना किसी बंधन के अपनी जिदंगी जी पाएगीं। लेकिन क्या इतनी सब चीजों के बावजूद भी ये संभव है कि किसी भी महिला पर देश के किसी भी कोने में कोई भी यातना न सहनी पड़े,कोई भी प्रताड़ना उन्हें न सहनी पड़े। इसका जवाब है नहीं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योकिं आज भी लड़कियों को उन्हीं कुप्रथाओं को गुजरना पड़ता है जिनको हमारा समाज और हमारी सरकार चीख चीख कर कहते हैं कि कुप्रथा का जड़ से मिटा दियाहै ,महिलाओं को खुली आजादी दी गई है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है कितनी सच्चाई है इस बात में जानने क लिए चलिए एक ऐसी ही महिला की आजादी की कहानी आपको सुनाते हैं जिसमें एक महिला को आजादी की कीमत अपनी जीवन लीला समाप्त करके चुकानी पड़ी।

ये कहानी है उस लड़की की जिसका नाम फराह है जिसकी शादी देहरादून के कावली गांव में हुई थी और जिसकी शादी के बाद उसके माता पिता ने उसके सुखी जीवन के सपने संजोये थे। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। ससुराल का दबाव वो न झेल सकी और हमेशा के लिए खुद को शांत कर लिया। दरअसल उसके ससुराल वाले उस लड़की से ज्यादा दहेज की मांग करते थे,लड़की के माता पिता गरीब थे लेकिन ये गरीबी अभिषाप बन जायेगी उनको क्या मालूम था अपनी नन्ही सी बच्ची को ससुराल वालों की बलि चढ़ती देखेगें। रोज उस लड़की से मारपीट की जाती थी घर से निकालने की धमकी दी जाती थी। लेकिन हमारे समाज को ये भी गंवारा नही होता कि शादी के बाद लड़की अपने माता पिता के साथ रहे। वो जहरीले ताने सुनने की हिम्मत वो हारी हुई लड़की नहीं जुटा पाती। बात बस यहीं तक नहीं रुकी जिस लड़के के साथ उसने सात जन्म बिताने के वादे किए थे वो लड़का भी अपना हाथ छुड़ा लेता है। अब तो उस लड़की के पास जीने की कोई उम्मीद भी नहीं बची थी। उसे लगा कि अब मैं अपने बच्चे के साथ अपना बचा हुआ जीवन बिता लूंगी लेकिन उसका बच्चा भी उससे छीन लिया गया,और इससे पहले कुछ सोचती और कर पाती उसके ससुराल वालों ने जहर देकर उससे उसकी जिंदगी भी छीन ली ऐसा आरोप लड़की के परिवारवालों ने लगाया है।

ये कहानी थी उस अबला महिला की जो खुद को न बचा सकी। अब आगे आपकों बताते हैं कि कैसे हमारा पुलिस प्रशासन हमेशा हमारी सुरक्षा में तत्पर रहता है। लेकिन यहां वो भी नाकामयाब रहा। लड़की के परिवार ने fir भी दर्ज कराई लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा न्याय के लिए कई चक्कर काटे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। परिजन आरोप लगा रहे है की पुलिस कुछ भी छानबीन नहीं कर रही है हमने अपनी बच्ची को खो दिया क्या अब हम न्याय की उम्मीद भी नहीं कर सकते।
अब आप लोग बताइए कि क्या पुलिस प्रशासन भी कसूरवार है। कैसे आखिर उस मां को न्याय मिलेगा।
इतने दिन हो गए पुलिस ने अभी तक इस मामले में गिरफ्तारी भी नहीं की इस संबंध में जब थाना अध्यक्ष बसंत विहार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि बिसरा रिपोर्ट आने पर आगे कार्रवाई की जाएगी। क्या सिर्फ बिसरा रिपोर्ट अभी नहीं आई इस कारण आरोपी खुलेआम घूमते रहेंगे और पीड़ित के परिवार को धमकाते रहेंगे…..

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