मुख्य बातें:
- भारत चाइना विवाद को लेकर देशभर में BoycottChineseProducts आवाज उठ रही है,
- लेकिन यह आवाज सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रह गई है
- ई-कामर्स कंपनियों की वेबसाइटों पर चीन में बने सामान या चीनी कंपनियों के सामान पहले की तरह की बिक रहे हैं
- ग्राहकों का कहना है कि वे वैल्यू फॉर मनी के लिए इन वस्तुओं की खरीदारी कर रहे हैं
- जिस दाम पर वे चीनी सामान खरीद रहे हैं,
- उसका भारत में कोई विकल्प नहीं है
- कोरोना काल में आमदनी घट गई है,
- ऐसे में संभल कर और दाम देख कर ग्राहक खरीद रहे हैं सामान।
भारत चीन सीमा पर पिछले दिनों हुए संघर्ष के बाद सोशल मीडिया पर #BoycottChineseProducts की मांग तेज हो गई है। लेकिन बाजार में स्थिति इसके उलट है। खास कर भारतीय ई-कामर्स बाजार पर नजर डालें तो चीन में बने या चायनीज कंपनियों के प्रोडक्ट (Chinese products) उसी तरह बिक रहे हैं, जैसे पहले बिकते थे। ग्राहकों का कहना है कि वे जो प्रोडक्ट खरीद रहे हैं, उसका भारतीय विकल्प नहीं है
लद्दाख में एलएसी पर 20 भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की मांग भले ही सोशल मीडिया में सबसे ऊपर ट्रेंड कर रही हो, लेकिन हकीकत में इसका स्मार्टफोन और इलेक्ट्रानिक उत्पादों की बिक्री पर अभी तक कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।विज्ञापनचीनी कंपनियों की तरफ से इस मुद्दे पर भले ही टिप्पणी से इनकार किया गया हो, लेकिन उनसे जुड़े कई वरिष्ठ एक्जीक्यूटिव मानते हैं कि बिक्री पर फिलहाल कोई प्रभाव नहीं है।
इनके मुताबिक, शाओमी, रियलमी और हेयर जैसी स्थापित कंपनियों की बिक्री कोरोना वायरस से पैदा हुए हालातों के कारण पहले से ज्यादा बढ़ी ही है। एक स्मार्टफोन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, लोगों को कोरोना वायरस महामरी के दौरान घर से ही काम और पढ़ाई करनी पड़ रही है। इसके चलते फोन की मांग बढ़ी है और बहुत सारी कंपनियों ने इस मांग को पूरा करने के लिए आयात किया था। एक अन्य एक्जीक्यूटिव ने कहा, चीनी कंपनियां बदलते हालातों पर सोशल मीडिया और बाजार दोनों जगह नजदीकी से नजर रख रही हैं।
बता दें कि ट्विटर पर ‘बायकॉट चाइना’, ‘गो चाइना’ और ‘गो चाइनीज गो’ जैसे हैशटैग जमकर ट्रेंड में हैं। कंज्यूमर इलेक्ट्रानिक्स एंड एप्लाइंसेज मेन्युफेक्चर्स एसोसिएशन (सिएमा) के अध्यक्ष कमल नंदी ने कहा, हालिया घटनाक्रमों को लेकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए उपभोक्ताओं के दिमाग में भावनाएं आकार ले रही हैं और इसका प्रभाव उनके खरीदारी के व्यवहार में दिखाई देगा।
यह प्रत्याशित है, हम एक समय बाद इसका असर देखेंगे। इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रानिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा, यह कोई गोपनीय बात नहीं है कि भारत की सप्लाई चेन के एक बड़े हिस्से की जड़ें चीन में हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में आत्म निर्भरता बढ़ाने के प्रयास हुए हैं। उन्होंने कहा, हमें अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। फिलहाल प्रदर्शनों का कोई प्रभाव नहीं है। हम भारत में उत्पादन बढ़ा रहे हैं और 2025 तक हमारे पास मोबाइल फोन और उसके पुर्जों के मामले में मजबूत भारतीय कंपनियां मौजूद होंगी।
मोबाइल में फिलहाल विकल्प भी नहीं
2019 में 15.25 करोड़ मोबाइल आयात करने वाला भारत स्मार्टफोन बाजार के हिसाब से चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। भारतीय बाजार में मौजूद शीर्ष-5 स्मार्टफोन ब्रांड में से शाओमी, वीवो, रियलमी, ओप्पो और सैमसंग शामिल हैं। सैमसंग को छोड़कर अन्य चारों कंपनियां चीन की हैं, जिनकी भारतीय बाजार में करीब 76 फीसदी हिस्सेदारी है। इन कंपनियों ने आईडीसी डाटा के हिसाब से मार्च 2020 में भारत में 3.25 करोड़ मोबाइल आयात किए थे। सैमसंग ने इस तिमाही में 15.6 फीसदी मोबाइल आयात किए थे। इस हिसाब से भारतीय ग्राहकों के पास विकल्प बेहद कम ही हैं।
शाओमी का लैपटॉप पहले दिन ही खत्म
चीनी कंपनी शाओमी ने पिछले सप्ताह भारत में अपना लैपटॉप लांच किया था और इसकी बिक्री कल अपनी वेबसाइट Mi.com पर शुरू की। शाओमी इंडिया से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि उनके लैपटॉप की मांग का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि बिक्री शुरू होने के पहले ही दिन इसका पूरा स्टॉक खत्म हो गया। अब फिर से स्टॉक तैयार किया जाएगा तब इसकी बिक्री शुरू होगी।
