सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और चार सदस्यों की एक कमेटी का गठन कर दिया है। मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट की समिति मे शामिल हैं ये चार सदस्य
- जीतेंद्र सिंह मान, बीकेयू के अध्यक्ष
- डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अंतरराष्ट्रीय नीति प्रमुख
- अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री
- अनिल धनवत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र
आंदोलनकारियों का समर्थन कर रहे वकील विकास सिंह ने कहा कि लोगों को रामलीला मैदान में जगह मिलनी चाहिए. ऐसी जगह जहां प्रेस और मीडिया भी उन्हें देख सके. प्रशासन उसे दूर जगह देना चाहता है. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि रैली के लिए प्रशासन को आवेदन दिया जाता है. पुलिस शर्तें रखती है. पालन न करने पर अनुमति रद्द करती है. क्या किसी ने आवेदन दिया? सिंह ने कहा कि मुझे पता करना होगा.
सुनवाई के दौरान हरिश साल्वे ने यह कहा कि आंदोलन में वैंकूवर के संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस के बैनर भी लहरा रहे हैं. यह अलगाववादी संगठन है. अलग खालिस्तान चाहता है. इसपर सीजेआई ने पूछा कि क्या इसे किसी ने रिकॉर्ड पर रखा है? तो सॉलिसीटर जरनल ने कहा कि एक याचिका में रखा गया है. कोर्ट की कार्रवाई से यह संकेत नहीं जाना चाहिए कि गलत लोगों को शह दी गई है. सीजेआई ने कहा कि हम सिर्फ सकारात्मकता को शह दे रहे हैं.
भारतीय किसान यूनियन (भानू) के वकील ने कहा है कि बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे. उनकी इस बात पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं. किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे, भूषण, गोंजाल्विस स्क्रीन पर नज़र नहीं आ रहे हैं. कल दवे ने कहा था कि सुनवाई टाली जाए. वह किसानों से बात करेंगे. आज कहां गए? इसपर साल्वे ने कहा कि दुर्भाग्य से लगता है कि लोग समाधान नहीं चाहते. आप कमिटी बना दीजिए. जो जाना चाहते हैं जाएंगे.