उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए तबादलों में बड़े पैमाने पर पैसे के लेनदेन की शिकायत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को हटाकर प्रतिक्षारत कर दिया है और उनके द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को भी रद्द कर दिया है।
मंत्री की शिकायत पर कार्रवाई
बता दे की मुख्यमंत्री ने यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की शिकायत पर की है। जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आईजी स्टांप द्वारा किए गए तबादलों में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि आईजी ने तमाम भ्रष्ट और जांच से घिरे अधिकारियों को बड़े-बड़े जिलों में तैनाती दे दी है और इसके लिए लाखों रुपये के लेनदेन की जानकारी मिली थी। बता दे की मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कराने के भी आदेश दिए हैं। उन्होंने स्टांप और परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को आईजी स्टांप का अतिरिक्त प्रभार दिया है। मंत्री ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में आईजी स्टांप समीर वर्मा पर खुलेआम भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था और एसटीएफ से जांच कराने का अनुरोध किया था।
तबादलों में गड़बड़ी
वही आपको बता दे की मंत्री ने पत्र में लिखा था कि आईजी ने सभी तबादले 13 जून को ही कर दिए थे और खानापूर्ति के लिए 15 जून को उनके सामने तबादलों की सूची रखी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि आईजी ने महत्वपूर्ण कार्यालयों में प्रभारी उप निबंधकों और लिपिक से प्रोन्नत उप निबंधकों को मानक के विपरीत तैनात कर दिया है। जिसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्रांसफर रद्द करने पर तंज कसते हुए कहा कि जिसको ट्रांसफ़र में नहीं मिला हिस्सा, वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा। सच तो ये है कि कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फ़ाइल की ‘फीस’ नहीं मिलने पर फाइल लौटा दी है।