मेडिकल की यह परीक्षा होगी रद्द? पुलिस रिपोर्ट के आधार पर जल्दी ही लिया जाएगा फैसला

आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की बीएएमएस की परीक्षा निरस्त होने की ओर बढ़ रही है। विवि पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेगा, लेकिन हालात को देखते हुए विवि के लिए इसी परीक्षा के आधार पर परिणाम जारी करना आसान नहीं होगा। इसकी सबसे बड़ी वजह पूरी परीक्षा की शुचिता पर खड़े हुए सवाल हैं। ऐसे में विवि के लिए निरस्त करने के लिए पेपर चुनना असंभव है, इसलिए पूरी परीक्षा निरस्त होने के हालात बनते जा रहे हैं

बता दें कि विवि की ओर से कराई गई बीएएमएस की परीक्षा में बड़ा खेल खुला था। विवि के कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक को पेपर के बाद उत्तर पुस्तिका बदलने की सूचना मिली थी। इसके बाद विवि की जांच में शिकायत सही मिली। कॉपी बदलने का मामला पकड़ में आने पर विवि ने एफआईआर दर्ज करा दी। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। छात्र नेताओं सहित कई लोगों के नाम सामने आ चुके हैं।

सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच एसटीएफ को सौंप दी। परीक्षा के इस हाल के बाद छात्रों के मन में सवाल खड़े होने लगे हैं। इन सवालों के जवाब परीक्षा निरस्त के रूप में मिल सकता है। हालांकि विवि अभी पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा पर फैसला लेने की बात कर रहा है। लेकिन, विवि को ईमानदारी से परीक्षा देने वाले छात्रों के हित में यह परीक्षा निरस्त करने का फैसला लेना ही होगा।

कार्यवाहक कुलपति, प्रो. विनय पाठक ने कहा कि परीक्षा की शुचिता और छात्रों के विश्वास को बनाए रखने के लिए जो भी जरूरी होगा किया जाएगा। मामले की जांच पुलिस के द्वारा की जा रही है। रिपोर्ट मिलने के बाद उसे परीक्षा समिति में रखा जाएगा। समिति परीक्षा पर फैसला लेगी।

कई सालों से चल रहा था खेल
विवि में बीएएमएस की परीक्षा में खेल लंबे समय से चल रहा था। सूत्रों की मानें तो शिकायतकर्ता ने इसके बारे में विवि के जिम्मेदारों को पहले भी बताया था। हालांकि पिछली परीक्षाओं में विवि ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस बार कार्यवाहक कुलपति ने पूरे मामले की जांच करायी। इससे बड़ा खेल खुल गया।

बीएएमएस में हर साल उठा सवाल
बीएएमएस की परीक्षा में हर बार सवाल खड़े होते रहते हैं। पिछली परीक्षाओं के दौरान अलीगढ़ के केन्द्रों पर नकल के ठेके लेने का मामला तक खुला था। एक बार विवि ने कई केन्द्रों पर नकल के खेल की शिकायत के बाद पर्यवेक्षक तैनात कर परीक्षा करायी थी। इसके बाद नोडल केन्द्रों पर परीक्षा कराने का फैसला लिया गया था।

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