क्या मोदी का विजय रथ रोक पाएंगे खड़गे? INDIA गठबंधन PM के नाम पर लगभग सहमत 270 सीट कांग्रेस…….

विपक्षी इंडिया गठबंधन की मंगलवार को नई दिल्ली में हुई बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन का प्रधानमंत्री चेहरा बनाए जाने का प्रस्ताव रखा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बनर्जी के इस प्रस्ताव का समर्थन भी किया.

लेकिन जब खड़गे से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने दोटूक कहा कि पहले 2024 का चुनाव जीतने दीजिए. पीएम चेहरे पर बाद में विचार किया जाएगा. ऐसे में विपक्षी गठबंधन के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे की ताकत, उनकी कमजोरी और संभावित चुनौतियों को जान लेना जरूरी है क्योंकि अगर वे आधिकारिक तौर पर विपक्षी गठबंधन के पीएम उम्मीदवार बनते हैं तो उनका मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होगा.

देश के सबसे बड़े दलित नेताओं में से एक हैं. उनका संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव बहुत है. वह लगातार 10 बार चुनाव जीत चुके हैं. उन्हें गांधी परिवार का करीबी माना जाता है. गांधी परिवार का उन पर अटूट भरोसा है. इतना ही नहीं, वह दक्षिण भारत में कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. साथ ही उन्हें आठ भाषाओं की जानकारी है और हिंदी धाराप्रवाह बोलते हैं.

  • वीकनेस (कमजोरी)

मल्लिकार्जु खड़गे का अपने क्षेत्र कर्नाटक के गुलबर्गा के बाहर कोई चुनावी आधार नहीं है. वह 2019 चुनाव में अपनी लोकसभा सीट हार चुके हैं. वह कोई करिश्माई नेता भी नहीं है. इसके अलावा राजनीति में उम्र को बहुत बड़ा फैक्टर माना जाता है. लेकिन यह फैक्टर उनके पक्ष में जाता नहीं दिख रहा क्योंकि उनकी उम्र 81 साल है. वहीं, कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर उन्हें गांधी परिवार की कठपुतली भी कहा जाता है.

-अपॉर्च्युनिटी (अवसर)

विपक्षी गठबंधन के पीएम चेहरे के तौर पर कई चीजें उनके पक्ष में जाती दिख रही हैं. जैसे- लगभग सभी विपक्षी पार्टियों का उन्हें समर्थन मिल सकता है. वह डार्क हॉर्स के तौर पर भी उभरकर सामने आ सकते हैं. इंडिया गठबंधन के लिए वह दलित वोट बटोरने में मदद कर सकते हैं. वहीं, गांधी परिवार पर परिवारवाद का आरोप लगाने वाली बीजेपी खड़गे पर इस तरह का आरोप नहीं लगा सकती.

  • थ्रेट (चुनौती)

हालांकि, खड़गे के समक्ष कई चुनौतियां भी हैं. सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उनका खुद का कोई मजबूत वोटबैंक नहीं है. एक चुनौती ये भी है कि कांग्रेस पार्टी में अपने समानांतर किसी भी ताकत के उभरने को पसंद नहीं करेगी. हो सकता है कि कांग्रेस विरोधी पार्टियां खड़गे का समर्थन नहीं करे.

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