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अज़ान, नमाज़ के लिए दौहरा रवय्या क्यों।

हमारे हिन्दू समाज को शायद किसी ने बताया ही नहीं या उन्हें पता ही नही कि अज़ान,नमाज़ की बरकत से उनके कितने मुश्किल काम आसान होते हैं और उनके छोटे बड़े रूहानी मामले इन नमाजियों के मस्जिद के गेट पर दम करने से ही हो जाते हैं यह बात वो हिन्दू बहनें बहुत अच्छी तरह जानती हैं जो अपने लाडले को लेकर मस्जिद में नमाज होने का इंतजार करती हैं। मगर शायद हिन्दू भाईयों को इसका एहसास नहीं होता इसलिए वो हिन्दू जागरण मंच जैसे संगठन के साथ एम डी डी ए कॉलोनी डालनवाला देहरादून में नमाज़ का विरोध करने पहुंच जाते हैं।

एम डी डी ए कॉलोनी में मुस्लिम समाज के अलॉट किए हुए दो ई डब्लू इस क्वार्टर में नमाज़ बा जमात पढ़ने का इंतेजाम सालों से किया हुआ था जिसका इस तरह के संगठन ने विरोध किया जबकि नमाज़ पढ़ना, पूजा करना मुसलमानों और हिंदुओ का संवैधानिक अधिकार है और मुसलमानों ने अपने संवैधानिक आधिकार की परिपूर्ति के लिए यह इंतेजाम वर्षो पूर्व किया था। क्योंकि उस जगह से मस्जिद दूसरे मोहल्ले में लगभग एक किलोमीटर दूर है और रेगुलर नमाज़ बा जमात के लिए कॉलोनी वासियों को परेशानी होती थी परंतु हाय नफरती जहन, एक बा बरकत काम को रोक दिया गया। विवाद के चलते मजबूर होकर उन क्वार्टर के मालिकों ने एक शपथ पत्र एम डी डी ए को दिया कि अब इन क्वार्टर में नमाज़ नही होगी और इस तरह वर्षो पुरानी हो रही नमाज़ की प्रक्रिया को एम डी डी ए वा प्रशासन द्वारा रोक दिया गया और क्षेत्र में इस विवाद का पटापेक्ष कर दिया गया।

मगर यह नफरत की आग ठंडी कहा होती है। अब यह संगठन एम डी डी ए के खिलाफ़ धरना प्रदर्शन कर यह दबाओ बना रहे हैं कि उक्त घरों को सील किया जाए। कल भी इस संबंध में एक रैली निकाली गई। अब सवाल यह है कि क्या भारत में संविधान में आहूत धर्म मानने की आज़ादी बाकी हैं या इन संगठनों के दबाओ में संविधान की मर्यादा तार तार हो गई हैं उसी कॉलोनी में मंदिर भी बना है जिसमे पूजा अर्चना होती हैं आवासीय भवनों की संरचना बदलकर कमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा हैं परन्तु इन हिंदूवादी संगठनों या मुस्लिम संगठनों ने एक बार भी इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने के लिए कोई आवाज़ नही उठाई। यह सब अज़ान, नमाज़ के लिए दौहरा रवय्या क्यों?

यह देहरादून की उन सब तंजीमों, शासन प्रशासन और प्रबुद्ध नागरिकों के सामने एक ज्वलंत मुद्दा है कि अगर हिंदू समाज अवैध तरीके से सड़क किनारे, पार्कों और सार्वजनिक स्थानों पर मन्दिर बनाकर पूजा अर्चना करे तो जायज़ और अगर मुसलमान अपने घरों में भी नमाज़ पढ़े तो नाजायज। इंसाफ का तकाज़ा हैं कि शासन प्रशासन वा जिलाधिकारी देहरादून को एम डी डी ए कॉलोनी में नमाज़ की व्यवस्था के लिए वैकल्पिक इंतजाम करना चाहिए

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