आपको बता दे की 2025 के कुंभ मेले की भव्यता और हाईटेक व्यवस्थाओं की चमक के बीच एक खतरनाक सच्चाई सामने आई है। शहर के अस्पतालों में लाशों का ढेर लगा हुआ था, लेकिन सरकारी आंकड़े इस हकीकत से मेल नहीं खा रहे। यह सवाल उठ रहा है कि असल स्थिति को क्यों छिपाया जा रहा है और इन आंकड़ों को सही तरीके से क्यों नहीं पेश किया जा रहा?
सच्चाई या आंकड़ों की छुपाई?
चश्मदीद गवाहों के मुताबिक, एक अस्पताल में अकेले 70-80 शव पहुंचे थे। अगर यह स्थिति एक अस्पताल की है, तो पूरे शहर में स्थिति क्या रही होगी? इसके बावजूद, सरकारी आंकड़ों में इन मौतों का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे यह साफ़ होता है कि मौतों की असली संख्या को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है।
हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर किसके लिए?
कुंभ मेले के आयोजन के लिए हजारों करोड़ों रुपये का निवेश किया गया, सैकड़ों ड्रोन तैनात किए गए और दुनिया भर से अत्याधुनिक व्यवस्थाएं की गईं। लेकिन सवाल यह है कि यह सभी इंतजाम किसके लिए थे? क्या यह सिर्फ मेले की भव्यता को दिखाने और वीआईपी मेहमानों को आकर्षित करने के लिए थे? जब आम श्रद्धालु और स्थानीय लोग संकट में थे, तो इन हाईटेक व्यवस्थाओं का लाभ उन्हें क्यों नहीं मिला?
सरकार की चुप्पी पर सवाल
सरकार ने अब तक इन मौतों के सही आंकड़े जारी नहीं किए हैं और न ही किसी बड़े अधिकारी ने इस मुद्दे पर कोई खुलकर बयान दिया है। प्रशासन की तैयारी और उसकी भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, और अब जनता इन सवालों का जवाब चाहती है।
जनता को चाहिए जवाब
क्या कुंभ मेले का आयोजन अब सिर्फ भव्यता और प्रचार का एक साधन बनकर रह गया है? क्या आम लोगों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सुविधाओं को नजरअंदाज कर दिया गया है? इन सवालों का जवाब सरकार को देना होगा और असली स्थिति को जनता के सामने लाना होगा।