क्या है डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन विधेयक,जानिए विस्तार से…

लोकसभा में आज डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन विधेयक, 2023 पारित हो गया। इससे पहले तीन अगस्त को लोकसभा में डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2023 पेश किया गया था।

विधेयक पेश किए जाते ही विपक्षी सदस्यों द्वारा इसका विरोध किया जाने लगा। विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

क्या है डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक—

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते दिन गुरुवार को लोकसभा में डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 पेश किया था। यह विधेयक एक तरीके से डिजिटल व्यक्तिगत डाटा के प्रसंस्करण का प्रावधान करता है। यह व्यक्तियों के अपने व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा के अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए ऐसे व्यक्तिगत डाटा को संसाधित करने की आवश्यकता को मान्यता देता है।

आपको बता दें केंद्र सरकार ने पिछले साल डाटा संरक्षण पर एक विधेयक वापस ले लिया था। इसे विभिन्न एजेंसियों की प्रतिक्रिया के मद्देनजर वापस लिया गया था। इसके बाद 18 नवंबर, 2022 को सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक- 2022 नामक एक नया मसौदा विधेयक प्रकाशित किया और इस मसौदे पर सार्वजनिक परामर्श शुरू किया।

अगर किसी कंपनी द्वारा यूजर्स का डाटा लीक किया जाता है और कंपनी द्वारा ये नियम तोड़ा जाता है तो उसपर 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

यह कानून लागू होने के बाद लोगों को अपने डाटा कलेक्शन, स्टोरेज और उसके प्रोसेसिंग के बारे में डिटेल मांगने का अधिकार मिल जाएगा।

विधेयक में यह भी कहा गया है कि कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर उपयोगकर्ताओं के डाटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए। नया पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डाटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है। यहां तक कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस के लिए किसी कर्मचारी के बायोमेट्रिक डाटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से संबंधित कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी।

नए डाटा प्रोटेक्शन बिल से सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और उनकी मनमानी भी कम होगी। नए डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 के अनुसार, यूजर्स के डिजिटल डाटा का दुरुपयोग करने वाली या उनकी सुरक्षा करने में नाकाम वाली संस्थाओं को 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

विधेयक के अन्य खास प्रावधान
• नए कानून के तहत बच्चों के डाटा तक पहुंच के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी।
• राष्ट्रीय सुरक्षा-कानून व्यवस्था के आधार पर सरकारी एजेंसियों को डाटा इस्तेमाल की विशेष इजाजत मिलेगी।
• सोशल मीडिया पर अकाउंट डिलीट करने के बाद कंपनी के लिए डाटा डिलीट करना अनिवार्य होगा।
• कंपनियां खुद के व्यावसायिक उद्देश्य के इतर डाटा का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी। यूजर को अपने निजी डाटा में सुधार करने या उसे मिटाने का अधिकार मिलेगा।
• बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले या लक्षित विज्ञापनों के लिए डाटा एकत्र करना गैरकानूनी होगा

सरकार का क्या कहना है?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि संसद द्वारा पारित होने के बाद यह विधेयक सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा। वहीं, आपत्तियों पर उन्होंने कहा कि आरटीआई अधिनियम का मतलब व्यक्तिगत जानकारी का अधिकार नहीं है।

विधेयक बस इतना कहता है कि आरटीआई अधिनियम सार्वजनिक जीवन में रहने वालों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जारी रख सकता है, लेकिन निजता का अधिकार निश्चित रूप से केवल इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में है।

Share
Now