विकास दुबे की तलाश में अब तक 100 से अधिक स्थानों पर दबिश दी जा चुकी है। पड़ोसी राज्य राजस्थान और मध्यप्रदेश में तलाश की जा रही है। पुलिस और एसटीएफ पूर्वी व पश्चिमी यूपी के कई जिलों में लगातार छापे मार रही है। विकास के 50 से अधिक करीबियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के मुताबिक जल्द ही विकास दुबे को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। चौबेपुर एसओ विनय तिवारी को निलंबित कर उसकी भूमिका की जांच की जा रही है।
पुलिस ने विकास दुबे के मामा प्रेमप्रकाश पांडेय व चचेरे भाई अतुल दुबे को मुठभेड़ में मार गिराया था। भाजपा नेता संतोष शुक्ला की हत्या के मामले में अतुल दुबे नामजद आरोपी था। 1998 में अतुल ने बंधक बनाए गए युवक को छुड़ाने आए उसके परिजनों पर भी गोली चलाई थी। 2001 में अतुल व प्रेमप्रकाश के खिलाफ शिवली में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ था।
आपराधिक हनक और राजनैतिक पकड़ से विकास दुबे वर्ष 2000 में ही घिमऊ जिला पंचायत चुनाव जीतकर शासनिक और प्रशासनिक गलियारों से सीधा जुड़ गया था, तब से उसकी शिवराजपुर विकास खंड की बिलहन, घिमऊ, जिला पंचायत के अलावा क्षेत्र पंचायत की लगभभ 56 सीटों और ग्राम पंचायत की 40 से अधिक सीटों पर सीधा दखल था। बीते 20 वर्षों में शिवराजपुर ब्लाक प्रमुख उसकी मर्जी का ही बना या यह कहें की उसी के आशीर्वाद से कुर्सी पाई।
यदि सरकार द्वारा उसकी मन पसंद सीट किसी अन्य जाति के लिए आरक्षित भी हो जाए तो विकास दुबे का आशीर्वाद ही प्रत्याशी को जीत का सर्टिफिकेट होता रहा है। वर्ष 2010 में बिकरू ग्राम पंचायत की सीट आरक्षित हो जाने पर निर्वाचित प्रधान रजनीकांत को विकास दुबे ने बुरी तरह पीट-पीटकर गांव से परिवार सहित भगा दिया था तब तत्कालीन डीएम ने ग्राम पंचायत समिति गठित की थी।