अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि वह दो अप्रैल से भारत समेत कुछ अन्य देशों के खिलाफ रेसिप्रोकल टैरिफ (प्रत्यावर्तक शुल्क) लागू करेंगे। यह एलान ऐसे समय में किया गया है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते पहले ही कुछ जटिल हो चुके हैं।
ट्रंप का कहना था कि यह कदम अमेरिका के व्यापारिक हितों की रक्षा करने के लिए उठाया जा रहा है, क्योंकि इन देशों के साथ व्यापारिक असंतुलन उनकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह हो सकता है। ट्रंप ने खासतौर पर भारत का नाम लेते हुए कहा कि “भारत जैसे देशों ने हमेशा हमारे खिलाफ व्यापारिक बाधाएं बनाई हैं और अब यह समय है कि हम उनके व्यापार को समान स्तर पर लाकर प्रतिस्पर्धा करें।”
इस एलान से न केवल भारत, बल्कि कुछ अन्य देशों में भी व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है, जिनमें चीन, रूस, और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं। इन देशों के साथ भी अमेरिका का व्यापारिक घाटा पहले से ही एक संवेदनशील मुद्दा रहा है।
भारत सरकार ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह अमेरिकी अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर वार्ता करने के लिए तैयार हैं और किसी भी प्रकार के व्यापारिक दबाव का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अमेरिकी व्यापारिक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को संतुलित और समृद्ध बनाने के लिए प्रयासरत रहेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होते हैं तो इससे व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। वहीं, अन्य देशों के भी इस फैसले पर कड़ी नजर होगी क्योंकि अमेरिका का यह कदम वैश्विक व्यापार नीति पर दूरगामी असर डाल सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप के इस कदम के बाद अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और क्या इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कोई बड़ा बदलाव आता है।