हमास और इजरायल युद्ध में अमेरिका खुले तौर पर इजरायल का समर्थन कर रहा है. अमेरिका ने मदद के तौर पर खतरनाक हथियार से लैस एक विमान इजरायल भेजा है. वहीं, लेबनान और सीरिया भी अप्रत्यक्ष रूप से फिलीस्तीन की मदद कर रहा है. फिलिस्तीन और इजरायल के इस युद्ध में जिस तरह से धीरे-धीरे बाहरी हस्तक्षेप बढ़ रहा है, उससे एक बार फिर मध्य पूर्व जंग के साये में है.
हमास और इजरायल में जारी जंग और तेज मोड़ ले रही है, इजरायल की मदद के लिए आगे आते हुए अमेरिका ने इजराइल को खतरनाक हथियार और गोला बारूद से लैस विमान इजरायल भेजा. रिपोर्ट के अनुसार , अमेरिकी हथियारों से लैस विमान ने मंगलवार को वहां से उड़ान भरी थी, जो देर रात इजरायल के नेबातिम एयर बेस पर पहुंची.
वहीं, लेबनान-सीरिया की तरफ से इजरायल पर रॉकेट हमले और इराक-यमन की ओर से हमास के साथ युद्ध में शामिल होने की धमकियां एक बार फिर मिडिल ईस्ट को जंग के साये में धकेल रही हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई ने सीरिया को आगाह किया है कि वह इजरायल और हमास की जंग में शामिल ना हो. इजरायली सेना आईडीएफ ने भी कहा है कि इजरायली क्षेत्र में दागे गए रॉकेट में कुछ की पहचान सीरियाई रॉकेट के रूप में हुई है. आईडीएफ के अनुसार, सीरियाई रॉकेट इजरायल के एक खुले क्षेत्र में दागे गए हैं. वहीं, लेबनान ने इजरायली क्षेत्र अविविम के पास एक सैन्य वाहन की ओर एंटी टैंक मिसाइल दागा है.
हमास ने शनिवार को इजरायल के क्षेत्र में घुसपैठ करते हुए 20 मिनट के भीतर पांच हजार से ज्यादा रॉकेट दागे थे. इस हमले के बाद इजरायल ने युद्ध की स्थिति की घोषणा कर दी है. इजरायली सेना गाजा पट्टी और हमास के ठिकानों पर जमकर बम बरसा रही है. इजरायल ने तीन लाख से ज्यादा रिजर्व सैनिकों को भी वापस बुलाया है.
लेबनान और सीरिया भी युद्ध में हो सकते हैं शामिल
लेबनान और सीरिया इससे पहले भी समय-समय पर हमास की मदद करता रहा है. पिछले कुछ दिनों से आतंकी संगठन हिजबुल्ला भी इजरायल के खिलाफ उकसावे की कार्रवाई कर रहा है. मई 2021 में हुए संघर्ष में लेबनान, सीरिया और इराक की ओर से इजरायल पर हमला किया गया था. वहीं, इस साल की शुरुआत में भी लेबनान ने इजरायल पर रॉकेट दागे थे.
हालांकि, अभी तक इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में छोटे-छोटे हमले होते रहे हैं. लेकिन वर्तमान संघर्ष भी 2006 में हुए युद्ध की तरह है. जो मध्य पूर्व को एक बार फिर जंग में धकेल सकता है.
ईरान का हमास को सपोर्ट और ईरान समर्थित हूती ने भी दी चेतावनी
ईरान ने भले ही हमास के इजरायल पर हमले में अपनी भूमिका होने से इनकार किया है लेकिन ईरान हमास को खुलकर समर्थन जाहिर कर रहा है. इसके अलावा, यमन में रह रहे ईरान समर्थित हूती समूह ने भी चेतावनी दी है कि वह भी इजरायल के खिलाफ इस युद्ध में शामिल हो सकता है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, यमन के हूती नेता अब्देल-मालेक अल हूती ने मंगलवार को कहा है कि अगर अमेरिका इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष में हस्तक्षेप करता है तो हूती भी ड्रोन और मिसाइल से इसका जवाब देगा. इसका अलावा, अन्य सैन्य विकल्प को चुनने में पीछे नहीं हटेगा.
बद्र समूह ने दी चेतावनी
यही नहीं, इराक में भी रह रहे ईरान समर्थित बद्र संगठन ने भी इजरायल को धमकी दी है. बद्र समहू की ओर से हादी अल-अमीरी ने कहा है कि फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जारी जंग में अगर अमेरिका हस्तक्षेप करता है तो हम भी हस्तक्षेप करेंगे. हम भी अमेरिका को निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे.
इससे पहले भी आतंकवादी समूह असैब अहल अल-हक ने इजरायल को धमकी दी थी. असैब अहल अल-हक काप्रमुख हिजबुल्लाह इस मुद्दे को लेकर लेबनान भी गया था. ईरान, सीरिया में भी अपनी जड़ें जमा ली हैं और सीरिया के रास्ते हिजबुल्लाह तक हथियार पहुंचाता है.
ऐसी कई रिपोर्टें हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि ईरान ने सीरिया और लेबनान में अपने कई इकाइयों का संचालन किया है. जो इजरायल के खिलाफ विभिन्न मोर्चों को एकजुट करने के ईरानी प्रयास का हिस्सा है. इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि हमास ने समन्वय के लिए अपने नेतृत्व को लेबनान भेजा है. इसके अलावा ईरान सीरिया में छोटे-छोटे आतंकवादी समूहों को भी संचालित करता है. जिसे वह समय-समय पर इस्तेमाल करता है.
अमेरिका ने हथियारों से लैस जहाज भेजा
इजरायल डिफेंस फोर्सेज के मुताबिक, अमेरिकी हथियारों से लैस विमान मंगलवार देर रात इजरायल के नेबातिम एयर बेस पर पहुंची है. अमेरिकी ने जो हथियार भेजे हैं. उनमें नौसेना का विमानवाहक पोत यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड (सीवीएन 78) शामिल हैं.
इसके अलावा सहायता विमानों के 8 स्क्वाड्रन और टिकोनडेरोगा क्लास गाइडेड मिसाइल क्रूजर यूएसएस नॉर्मंडी (सीजी 60), मिसाइल विध्वंसक यूएसएस थॉमस हडनर (डीडीजी 116), यूएसएस रामेज (डीडीजी 61), यूएसएस कार्नी (डीडीजी 64), और यूएसएस रूजवेल्ट (डीडीजी 80) और आर्ले बर्क क्लास गाइडेड मिसाइल भी शामिल हैं.
अमेरिका की तरह ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया भी इजरायल का मजबूती से समर्थन कर रहे हैं. यूरोप के ताकतवर देशों ने भी इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार की बात कहते हुए उसके साथ खड़े होने की बात कही है.
ऐसे में आशंका बढ़ गई है कि इजरायल-फिलीस्तीन की जंग कहीं किसी महायुद्ध का रूप ना ले ले और पहले से ही रूस-यूक्रेन युद्ध का दंश झेल रही दुनिया की मुश्किलें और ना बढ़ जाएं.