Join Us

CAA के खिलाफ फिर आंदोलन शुरू इस बार इस क्षेत्र के भड़के लोग….

विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ बुधवार को पूरे पूर्वोत्तर में 20 महीने के लंबे अंतराल के विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें कई छात्र संगठनों ने इस कानून को लागू करने का विरोध किया है। सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदुओं, बौद्धों, सिखों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का प्रावधान है। पूर्वोत्तर के कई समूहों को ऐसा लगता है कि उनके राज्यों में इससे अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ जाएगी।

इस कानून के खिलाफ वर्ष 2019 के दिसंबर महीने में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था। पुलिस फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

असम और इस क्षेत्र के अन्य राज्यों में कई समूहों को लगता है कि सीएए के कारण बांग्लादेश से अवैध प्रवासी उनके राज्यों में आ जाएंगे। उन्हें उनके आने से अपने नुकसान का भी डर है। दिसंबर 2020 में 18 संगठनों द्वारा नए सिरे से इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया था। हालांकि, इसके बाद यह शांत हो गया था।

उत्तर पूर्व छात्र संघ (एनईएसओ) के अध्यक्ष सैमुअल जिरवा ने कहा, “हम अपने उस रुख पर अडिग हैं कि सीएए असम और क्षेत्र के अन्य राज्यों के हितों के खिलाफ है। हमारे पहले के विरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने आगे बढ़कर यह कानून बनाया है।” उन्होंने आगे कहा, “बुधवार को हम सीएए और असम, मेघालय और त्रिपुरा में इनर-लाइन परमिट शासन की घोषणा जैसे अन्य मुद्दों के खिलाफ क्षेत्र के सभी राज्यों की राजधानियों में अहिंसक धरना प्रदर्शन आयोजित करेंगे।” उनका दावा है कि इन राज्यों ने सीएए का सबसे अधिक खामियाजा उठाया है।

Share
Now