- सुशांत सिंह राजपूत के बहनोई IPS ओ पी सिंह और तत्कालीन जोन 9 डीसीपी परमजीत दहिया के बीच हुए व्हाट्सएप चैट हुई वायरल..
- सुशांत के परिवार का आरोप हमने पहले ही बताया था कि सुशांत की जान को खतरा है
नेशनल
पुलिस के एक अधिकारी से बातचीत का व्हाट्सअप चैट सुशांत सिंह राजपूत के परिजन ने किया शेयर
सुशांत सिंह राजपूत के पिता के दावे के बाद उनके परिजनों ने मुंबई पुलिस के एक अधिकारी से कथित तौर पर व्हाट्सअप चैट के स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। जिसमें उन्होंने सुशांत की जान के खतरे को लेकर बात कही है। व्हाट्सअप चैट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हो रहे हैं।
सुशांत सिंह राजपूत के पिता का दावा- सुशांत की जान को खतरा होने के बारे में पहले ही मुंबई पुलिस को फरवरी में बता दिया था
सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने बेटे की जान को खतरे के बारे में फरवरी में ही मुंबई पुलिस को बता दिया था, लेकिन पुलिस ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और जून में राजपूत की मौत के अगले दिन जिन लोगों के खिलाफ शिकायत की गई थी, उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं की।
सुशांत सिंह राजपूत के परिवार ने 19 से 25 फरवरी के बीच तब के बांद्रा डीसीपी परमजीत दहिया के साथ हुए वाट्सएप चैट को रिलीज़ किया जिसमें सुशांत की जान को खतरे के बारे में बताया था। परिवार का दावा है 14 जून को पुराने चैट के आधार पर कार्रवाई करने को कहा लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।

सुशांत सिंह राजपूत के बहनोई आईपीएस ओ पी सिंह और तत्कालीन जोन 9 डीसीपी परमजीत दहिया के बीच हुए व्हाट्सएप चैट को मुंबई पुलिस ने सही बताया लेकिन कहा कि डीसीपी द्वारा लिखित कंप्लेंट की मांग की गई जबकि सिंह चाहते थे कि यह जांच अनौपचारिक तरीके से हो पर डीसीपी ने साफ तौर पर मना कर दिया।

वहीं, सुशांत पिता ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने बेटे की जान को खतरे के बारे में फरवरी में ही मुंबई पुलिस को बता दिया था, लेकिन पुलिस ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और जून में राजपूत की मौत के अगले दिन जिन लोगों के खिलाफ शिकायत की गई थी, उसपर भी कोई कार्रवाई नहीं की।

सिंह ने वीडियो बयान में कहा, ”मैंने फरवरी में ही मुंबई पुलिस को बता दिया था कि मेरे बेटे सुशांत की जान को खतरा है, लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया। 14 जून को जब मेरे बेटे की मौत हुई, तो मैंने उनसे नामजद लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया, लेकिन 40 दिन बाद भी इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा तो मैंने यहां पटना में एक थाने में शिकायत दर्ज कराई।”