गुजरात सरकार से सुप्रीम कोर्ट के सख्त सवाल! बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई में छूट क्यों ? ‘क्या बाकी कैदियों….

बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों की रिहाई के मामले में गुरुवार (17 अगस्त) को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात सरकार से कई कड़े सवाल किए. जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने पूछा कि दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था, ऐसी स्थिति में उन्हें 14 साल की सजा के बाद कैसे रिहा किया जा सकता है.
कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा कि अन्य कैदियों को रिहाई की राहत क्यों नहीं दी गई? इसमें इन दोषियों को चुनिंदा तरीके से नीति का लाभ क्यों दिया गया. 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया गया था और उनके परिजनों की हत्या की गई थी.
बिलकिस बानो केस के दोषियों की हुई थी रिहाई
इस मामले में दोषी ठहराए गए सभी 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई की गई थी जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात सरकार से कहा कि राज्य सरकारों को दोषियों को छूट देने में चयनात्मक नहीं होना चाहिए और प्रत्येक कैदी को सुधार और समाज के साथ फिर से जुड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए.
गुजरात सरकार ने किया फैसले का बचाव
गुजरात सरकार ने दोषियों की समयपूर्व रिहाई के अपने फैसले का बचाव किया था. गुजरात सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि कानून के अनुसार दुर्दांत अपराधियों को भी खुद को सुधारने का मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने दलील दी कि 11 दोषियों का अपराध जघन्य था, लेकिन रेयरस्ट ऑफ रेयर केस की श्रेणी में नहीं आता. इसलिए, उन्हें सुधार का मौका दिया जाना चाहिए.
“जेलें खचाखच भरी क्यों हैं?”
इसपर पीठ ने सवाल किया कि जेल में अन्य कैदियों पर ऐसा कानून कितना लागू किया जा रहा है. हमारी जेलें खचाखच भरी क्यों हैं? छूट की नीति सेलेक्टिव रूप से क्यों लागू की जा रही है? सुधार का अवसर केवल कुछ कैदियों को ही नहीं बल्कि प्रत्येक कैदी को दिया जाना चाहिए, लेकिन जहां दोषियों ने 14 साल की सजा पूरी कर ली है वहां छूट की नीति कहां तक लागू हो रही है? क्या इसे सभी मामलों में लागू किया जा रहा है.