देहरादून. कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित है, लातिन अमेरिकी देश इक्वाडोर में कोरोना वायरस फैलने के बाद स्थिति इतनी बेकाबू हो गई थी कि लोग सड़कों पर गिरकर मर जा रहे थे और कोई उन शवों को छूने को तैयार नहीं था. शव सड़ने लगे थे और हालात बहुत भयानक थी. यह शर्म और बेहद डर की बात है कि देहरादून प्रशासन की वजह से उत्तराखंड का नाम भी इस शर्मनाक सूची में शामिल हो गया है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के माली की मौत को 16 घंटे से ज़्यादा हो गए हैं लेकिन उनके शव को कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं है और इस गर्मी वह देहरादून की नर्सरी के एक कमरे में पड़ा है, शायद सड़ने के इंतज़ार में |
पोस्टमार्टम के लिए ले जाने से इनकार
बता दें कि सतपाल महाराज और उनके परिवार समेत उनके संपर्क में आने वाले जो 22 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गए थे उनमें सिक्किम के मूल निवासी रतन बहादुर भी शामिल थे. रतन बहादुर को देहरादून के कोविड सेंटर में आइसोलेशन में रखा गया था और 10 जून को उन्हें होम क्वारंटीन होने के निर्देशों के साथ डिस्चार्ज कर दिया गया था |
रतन बहादुर 19 अन्य लोगों के साथ नर्सरी में रहते थे. सोमवार रात करीब साढ़े तीन बजे उनकी मौत हो गई तो साथ में रहने वालों ने नर्सरी के मैनेजर को बताया. मैनेजर ने सुबह करीब साढ़े छह बजे पुलिस को सूचना दी. पुलिस सुबह मौके पर पहुंची और महंत इंद्रेश अस्पताल से एंबुलेंस बुलाई लेकिन उन्होंने इसे कोरोना पॉज़िटिव मामला बताते हुए शव को हाथ लगाने से इनकार कर दिया.इसके बाद पुलिस ने कोविड कंट्रोल रूम के फ़ोन किया तो वहां से भी यह कहकर इनकार कर दिया गया कि यह कोरोना का केस नहीं, नॉर्मल केस है इसलिए वह कुछ नहीं करेंगे |
एक कैबिनेट मंत्री के घर काम करके रतन बहादुर शायद खुद को ख़ुशनसीब समझते रहे हों लेकिन आज मौत के बाद वह सबसे बड़ा अपमान झेल रहे हैं. उनकी लाश घर से दूर वहां लावारिस पड़ी है जहां इंसानियत को शर्मनाक करने वाले अफ़सरशाही काबिज़ है |