प्रशासन की ओर से बनाए गए क्वारंटीन सेंटरों की खामियों का लाभ निजी क्वारंटीन सेंटर बनाए गए होटल उठा रहे हैं। फ्लाइट से आने वाले प्रवासी जो क्वारंटीन की व्यवस्थाओं से संतुष्ट नहीं हैं, उन्हें प्रशासन ने कुछ होटल चिह्नित कर वहां खुद के पैसों पर रहने की अनुमति दी है। प्रवासियों की इसी मजबूरी का फायदा होटल संचालक उठा रहे हैं। होटल संचालक न केवल उनसे मनमाफिक किराया वसूल रहे हैं, बल्कि एयरपोर्ट से होटल पहुंचने तक का किराया भी ज्यादा ले रहे हैं।
दिल्ली से फ्लाइट से आए कौलागढ़ निवासी शैलेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मंगलवार को वह और उनकी पत्नी जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। यहां से उन्हें क्वारंटीन होने के लिए कहा गया। एयरपोर्ट पर कई होटलों के कर्मचारी मौजूद थे। जब उन्होंने होटल में क्वारंटीन करने के लिए कमरे के लिए कहा तो उन्होंने सात सौ से नौ सौ रुपये प्रतिदिन रहने और खाने का रेट बताया, लेकिन जब वह होटल पहुंचे तो वहां 1600 रुपये प्रतिदिन किराया और खाने का अलग चार्ज बताया।
इसके बाद काफी मिन्नत के बाद वह 1400 रुपये पर रोजाना पर राजी हुए। उन्होंने कहा कि किराये के हिसाब से होटल में न तो किचन की सुविधा ठीक से है और न ही बाथरूम की। जब प्रशासन ने यह विकल्प दे रखा है तो होटलों के किराये पर भी नियंत्रण होना चाहिए। जिससे कि प्रवासियों को कोई दिक्कत न हो