देश के कुछ राज्यों में पिछले कई दिनों से टिड्डी दल ने तबाही मचा रखी है। टिड्डी दल में इनकी संख्या करोड़ों में होती है। दो ढाई इंच लंबे टिड्डी गन्ना, बाजरा, मूंग, फल, सब्जी समेत तमाम फसलों को कुछ ही घंटों में खा जाते हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश में तबाही मचाने के बाद टिड्डी दलों ने हवा के रूख के अनुसार अपनी दिशा तय कर ली है। दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में सरकारों ने टिड्डी दल के पहुंचने को लेकर अलर्ट जारी किए हैं।
पानीपत. पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान होते हुए हरियाणा में घुसा टिड्डी दल शनिवार को गुड़गांव से फरीदाबाद पहुंच गया। शाम तक यह टिड्डी तक सोनीपत से होते हुए पानीपत पहुंच सकता है। पानीपत के जिला उपायुक्त ने समालखा और इसराना खंड के किसानों को अलर्ट पर रहने की अपील की है। यह टिड्डी दल सोनीपत के रास्ते पानीपत जिले में शनिवार शाम तक एंट्री कर सकता है।
पाकिस्तान से आए इस टिड्डी दल की राजस्थान से भारत में एंट्री हुई थी। राजस्थान से यह महेंद्रगढ़ जिले से हरियाणा में प्रवेश कर चुका है। शुक्रवार को इस टिड्डी दल ने रेवाड़ी और नारनौल में किसानों की फसलों को चट कर दिया। अब यह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है।
60 लाख टिड्डी हैं इस दल में
पानीपत के जिला उपायुक्त धर्मेंद्र सिंह ने समालखा व इसराना खंड के किसानों से अनुरोध किया है कि वे अपने आवाज करने वाले सभी यंत्र तथा सामान (थाली, परात, चम्मच-कटोरी आदि) लेकर तैयार रहें। इस टिड्डी दल में 60 लाख टिड्डियां हैं, जिसकी लंबाई 10 किलोमीटर है तथा चौड़ाई 6 किलोमीटर है। दिन के समय टिड्डी दल प्रवेश करता है तो शोर (आवाज) करके उसे भगाना होगा और यदि रात्रि के समय टिड्डी दल आता है तो उसे दवाइयों के स्प्रे से भगाया जाएगा।
ऐसे भगाया जा सकता है
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (जेडएसआई) के हाई अल्टीट्यूट स्टेशन सोलन के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमल सैनी डेढ़ दशक से टिड्डी दल पर शोध कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रभावित खेतों के आसपास कृषक ड्रम अथवा बर्तनों इत्यादि से तेज आवाज निकाल कर टिड्डी दल को फसल से दूर रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि टिड्डी दल के समूह पर कलोरपायरीफॉस 20 ईसी (ईमल्सीफाईड कन्सनट्रेशन) का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर अथवा मेलाथियॉन (यूएलबी) का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर या लैम्ब्डा सयलोथ्रिन 4.9 प्रतिशत सीएस का 10 मिलीलीटर प्रति लीटर जल में मिलाकर ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर अथवा रोकर स्प्रेयर से छिड़काव करें। यह छिड़काव शाम अथवा रात के समय करें क्योंकि टिड्डी रात के समय बैठकर आराम करती हैं। उन्होंने कहा कि किसान खेत में फसल से दूर आग जला सकते हैं, जिसमें टिड्डी दल आकर्षित होकर जलकर समाप्त हो जाएगा।
हवा के वेग की और चलता है टिड्डी दल
वैज्ञानिक डॉ. कमल सैनी ने बताया कि देश में इस समय आया टिड्डी दल सिस्टोसिरा ग्रेगेरिया अफ्रीका के इथोपिया से आया है। यह दल इथोपिया से साउदी अरब, ईरान, इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए भारत के पश्चिमी तट पर स्थित राजस्थान में दाखिल हुआ। टिड्डा रेत में अंडे देता है और दस से पंद्रह दिन में अंडे से बच्चे निकल आते हैं। उन्होंने बताया कि एक टिड्डा 90 से 120 दिन जीता है। एक टाइम में एक टिड्डा 80 से 120 अंडे देता है। एक टिड्डा अपनी लाइफ में दो से तीन बार अंडे देता है। इनका समूह एक वर्ग किलोमीटर से कई 100 किलोमीटर तक का होता है। यह समूह दिन में उड़ता है और रात को किसी जगह बैठकर विश्राम करता है।
अब इन जिलों में टिड्डी के हमले की आशंका अलर्ट जारी…
