कई दशकों से, ड्रैगन अपने हिमाकतों से बाज नहीं आता अब भारत ने भी कमर कस ली है चीन के साथ सीमा विवाद के बीच पूर्वी लद्दाख में गस्ती प्वाइंट्स की संख्या बढ़ाकर 72 कर दी है। नए गश्ती बिंदुओं की पहचान पीपी-04 और पीपी-65 के बीच की गई है।
भारतीय सुरक्षा बल अब 65 से बढ़ाकर 72 प्वाइंट्स पर पेट्रोलिंग करेंगे
सुरक्षा बलों को नई तकनीक, ड्रोन और बेहतर समन्वय से सुसज्जित किया गया है। चीन (ड्रैगन्) के साथ सीमा विवाद के बीच भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख में पेट्रोलिंग प्वाइंट कि गस्त बढ़ा दी है, भारतीय सुरक्षा बल अब 65 से बढ़ाकर 72 प्वाइंट्स पर पेट्रोलिंग करेंगे। मीडिया खबरों के अनुसार आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विभिन्न स्थानों पर गश्त बढ़ा दी गई है। जहां दुर्गम से दुर्गम मौसम की स्थिति और इलाके के बावजूद भारतीय सुरक्षा बल क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे हैं।पीपी-04 और पीपी-65 के बीच भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तनाव कम होने के बाद अब नए पेट्रोलिंग एरिया की पहचान की गई है।
जहां एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे
हालांकि दोनों देशों के बीच बर्फ की मौजूदगी के कारण इन नए गश्ती बिंदुओं तक पहुंचना मुश्किल है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि प्रभावी गश्त सुनिश्चित करने के लिए मार्ग बनाए गए हैं। 2013-14 से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच झड़पें और गतिरोध बढ़े हैं। 2020 में लद्दाख में गतिरोध के कारण हिंसक झड़पें हुईं थी। जहां एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तब से सुरक्षा बलों को नई तकनीक, ड्रोन, बुनियादी ढांचे, बलों के बीच बेहतर समन्वय और वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) का उपयोग करके LAC के साथ सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए केंद्र की हालिया पहल से बेहतर तरीके से सुसज्जित किया गया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है
इससे पहले मंगलवार को न्यूयॉर्क में एक तय कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि मुख्य मुद्दा (चीन के साथ) गश्त बढ़ाने की है। उन्होंने कार्यक्रम में कहा, भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। इसमें उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच का मध्य क्षेत्र भारत की तरफ और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र चीन की तरफ है। जबकि पूर्वी क्षेत्र अरुणाचल, सिक्किम और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र चीन की तरफ है। लद्दाख चीन के साथ 1,597 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है, उसके बाद अरुणाचल (1,126 किलोमीटर) है।
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)-डीजीपी सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए एक अखबार का हवाला देते हुए, यह तर्क दिया गया था
हमारी भारतीय सेना, ITBP के साथ, एलएसी पर तैनात है। पिछले साल एक निजी अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)-डीजीपी सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए एक अखबार का हवाला देते हुए, यह तर्क दिया गया था कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा गश्त प्रतिबंधित है या काराकोरम दर्रे से चुमुर तक 65 में से 26 बिंदुओं पर ‘कोई गश्त नहीं’ की गई है। पीपी-15 और 16 पर हासिल की गई डिस्इंगेजमेंट के परिणामस्वरूप गोगरा पहाड़ियों और उत्तरी तट, काकजंग क्षेत्रों में चरागाह भूमि का नुकसान हुआ है, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के प्रति सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की वापसी के लिए आवश्यक है।
रिपोर्ट: अमित कुमार सिन्हा