एक अप्रैल से नए वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत हो रही है। इस वित्त वर्ष से कई अहम बदलाव हो रहे हैं, जो करदाताओं, वरिष्ठ नागरिकों, उपभोक्ताओं पर सीधा असर डालने वाली हैं।सबसे बड़ा बदलाव आयकर व्यवस्था में है।
1 अप्रैल 2025 से नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ कई महत्वपूर्ण नियमों में बदलाव हुए हैं, जो आपकी वित्तीय गतिविधियों और दैनिक जीवन को प्रभावित करेंगे। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में विस्तार से:
1. आयकर नियमों में बदलाव:
- नई आयकर स्लैब: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट 2025-26 के अनुसार, नए टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। इसके अलावा, वेतनभोगी कर्मचारियों को 75,000 रुपये का अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा, जिससे कुल 12.75 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स नहीं होगा।
2. यूपीआई (UPI) नियमों में बदलाव:
- यूपीआई खाते की निष्क्रियता: नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, लंबे समय से निष्क्रिय पड़े यूपीआई खातों को 1 अप्रैल से निष्क्रिय (डीएक्टिवेट) कर दिया जाएगा। इसलिए, यदि आपने लंबे समय से अपने यूपीआई खाते का उपयोग नहीं किया है, तो उसे फिर से सक्रिय करने के लिए 1 अप्रैल से पहले लेन-देन करें।
3. पैन और आधार लिंकिंग:
- लाभांश प्राप्ति के लिए अनिवार्यता: यदि आपने 31 मार्च तक अपने पैन और आधार को लिंक नहीं किया है, तो 1 अप्रैल से आपको डिविडेंड (लाभांश) प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है, साथ ही टीडीएस दरें भी बढ़ सकती हैं।
4. जीएसटी (GST) नियमों में बदलाव:
- मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA): 1 अप्रैल से जीएसटी पोर्टल पर MFA अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अलावा, ई-वे बिल केवल उन्हीं दस्तावेजों पर जनरेट किया जा सकेगा जो 180 दिनों से अधिक पुराने नहीं हैं।
5. होटल रूम टैरिफ और जीएसटी:
- विशेषीकृत आवास: यदि किसी वित्तीय वर्ष में होटल रूम का दैनिक किराया 7,500 रुपये से अधिक है, तो ऐसे होटलों को ‘विशेषीकृत परिसर’ माना जाएगा, जहां रेस्तरां सेवाओं पर 18% जीएसटी लागू होगा, लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलेगा।
6. बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस:
- जुर्माना लागू: एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और अन्य बड़े बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस की आवश्यकता को अपडेट किया है। यदि आपके खाते में न्यूनतम बैलेंस नहीं है, तो 1 अप्रैल से आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है।
7. म्यूचुअल फंड और डीमैट केवाईसी:
- अनिवार्यता: 1 अप्रैल, 2025 से म्यूचुअल फंड और डीमैट खातों के लिए केवाईसी अनिवार्य हो गई है, जिसके तहत सभी नामांकित विवरणों को फिर से सत्यापित किया जाएगा।
8. चेक क्लियरेंस के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम:
- सुरक्षा में वृद्धि: बैंक धोखाधड़ी को रोकने के लिए, 50,000 रुपये से अधिक के चेक भुगतान के लिए खाताधारक को चेक का विवरण इलेक्ट्रॉनिक रूप से बैंक को देना होगा, जिसे बैंक भुगतान से पहले सत्यापित करेगा।
9. प्रायोरिटी सेक्टर लेंडिंग में बदलाव:
- होम लोन सीमा बढ़ी: 1 अप्रैल से होम लोन लेने वाले लोग प्रायोरिटी सेक्टर लोन के तहत बड़े शहरों में 50 लाख रुपये, मीडियम-साइज वाले शहरों में 45 लाख रुपये और छोटे शहरों में 35 लाख रुपये तक का लोन ले सकेंगे।
10. टीडीएस और टीसीएस नियमों में बदलाव:
- सीमा में वृद्धि: वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। साथ ही, टीसीएस (टैक्स कलेक्शन एट सोर्स) की नई दरें लागू होंगी, जिससे विदेश यात्रा, निवेश और अन्य बड़े लेनदेन पर टीसीएस की सीमा 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है।
इन बदलावों का सीधा असर आपकी वित्तीय योजनाओं और लेनदेन पर पड़ेगा। इसलिए, इन नियमों को समझकर और समय पर आवश्यक कदम उठाकर आप अपने वित्तीय प्रबंधन को प्रभावी बना सकते हैं।