वित्त मंत्रालय: आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त में किसानों के लिए 11 बड़ी घोषणाएं

कोरोना संकटकाल में मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आगाज किया है। दूसरी किस्त में प्रवासी मजदूरों, किसानों, रेहड़ी-पटरी वाले, आदि पर फोकस रहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की तीसरी किस्त के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस की ।वित्त मंत्री ने कहा कि आज कृषि के ऊपर ज्यादा बात करेंगे। किसानों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिए पिछले पांच से छह सालों से कदम उठाए जा रहे हैं। करोड़ों किसानों को इसके माध्यम से लाभ मिला है।

पिछले दो महीनों में किसानों के लिए कई कदम उठाए गए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लगभग 74,300 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो सीधे किसानों को मिले हैं। पीएम किसान योजना के अंतर्गत दो महीनों में 18,700 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले गए हैं। फसल बीमा योजना के माध्यम से जो क्लेम्स मिलने थे, वो 6,400 करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को मिले हैं। लॉकडाउन के दौरान दूध की खपत 20 से 25 फीसदी कम हुई है। 5,000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी की मदद दो करोड़ किसानों को दी गई। दो फीसदी ब्याज अनुदान भी दिया गया।

कृषि उत्पाद कीमत और गुणवत्ता
किसानों के लिए सुविधाजनक ऐसा कानूनी ढांचा बनाया जाएगा, जिसके तहत उसे निश्चित आमदनी हो।, जोखिम रहित खेती हो और गुणवत्ता मानकीकरण किया जाएगा। इससे किसानों के जीवन में बदलाव जाएगा। वह बड़े खुदरा व्यापारी, निर्यातकों के साथ पारदर्शिता के साथ काम कर सकेंगे। ताकि किसानों का उत्पीड़न ना हो।

किसान जहां चाहें वहां बेच सकेंगे उत्पाद
किसान को अभी एपीएमसी लाइसेंस धारकों को ही अपना उत्पाद बेचना पड़ता है। किसानों को अपने उत्पाद की सही कीमत मिले और दूसरे राज्यों में जाकर भी उत्पाद बेच सकें उसके लिए कानूनी में बदलाव किया जाएगा। एक केंद्रीय कानून के तहत उन्हें किसी भी राज्य में अपना उत्पाद ले जाकर बेचने की छूट होगी।

आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन
कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पार्धा और निवेश बढ़ाने के लिए 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव किया जाएगा। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। किसानों को कम दाम पर उत्पाद बेचना पड़ता था। तिलहन, दलहन, प्याज, आलू को अनियमित किया जाएगा ताकि किसानों को लाभ मिल सके।

टॉप टु टोटल के लिए 500 करोड़
इस योजना के तहत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पहले यह टमाटर, आलू और प्याज के लिए था लेकिन अब अन्य सभी फल और सब्जियों के लिए लागू किया जाएगा। जो खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते थे और दबाव में कम मूल्य में बेचना पड़ता है। इस योजना के तहत सभी फल सब्जियों को लाने से 50 फीसदी सब्सिडी मालभाड़े और 50 फीसदी स्टोरेज, कोल्ड स्टोरेज के लिए दी जाएगी।

मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए
मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे 2 लाख मधुमक्खी पालकों को लाभ होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर शहद मिलेगा। कृषि आधारित मधुमक्खी पालन किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराता है।

हर्बल खेली के लिए 4 हजार करोड़ रुपए
हर्बल खेती के लिे 4 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 10 लाख हेक्टेएयर में यह खेती होगी। इससे किसानों को 5 हजार करोड़ रुपए की आमदनी होगी। इनमें से 800 हेक्टएयर की खेती गंगा के दोनों किनारों पर की जाएगी।

पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़
पशुपालन में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे अधिक दूध उत्पादन होगा और प्रोसेसिंग यूनिट आदि लगाए जाएंगे।

नेशनल एनिमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम
नेशनल एनिमल डिजीजी कंट्रोल प्रोग्राम के तहत मुंह पका-खुर पका बीमारी से बचाने के लिए जानवरों को वैक्सीन लगाया जाएगा। इस पर 13,343 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना के तहत 53 करोड़ पशुओं को टीका लगाया जाएगा। अभी तक 1.5 करोड़ गाय और भैसों को टीका लगाया गया है। इससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी और उत्पादकों की गुणवत्ता बेहतर होगी।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए
पीएम मतस्य संपदा योजना के लिए 20 हजार करोड़ रुपए रखे गए हैं। इसके वैल्यू चेन में मौजूद खामियों को दूर किया जाएगा।11 हजार करोड़ रुपए समुद्री मत्स्य पालन और 9 हजार करोड़ रुपए इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए खर्च किए जाएंगे।इससे अगले 5 साल में मतस्य उत्पादन 70 लाख टन बढ़ेगा। इससे 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा और निर्यात दोगुना होकर 1 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।

खाद्य संस्करण इकाइयों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए
माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (एमएफई) के फॉर्मलाइजेशन के लिए 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इससे देश के अलग-अलग हिस्सों के उत्पादों को ब्रैंड बनाया जाएगा। लगभग 2 लाख घाद्य संस्करण इकाइयों को इसका लाभ मिलेगा। इससे जुड़े लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ंगे। जैसे बिहार का मखाना, जम्मू कश्मीर का केसर, नॉर्थ ईस्ट का बंबू शूट, यूपी का आम है।

कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए
-किसान देश का पेट भरने के साथ निर्यात भी करता है। अनाज भंडारण, कोल्ड चेन और अन्य कृषि आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कृषि उत्पादक संघ, कृषि स्टार्टअप आदि का भी इसका लाभ होगा।

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