मुख्य सचिव के कार्य प्रणाली एवं विशेषता के बारे में जाने , किसी राज्य में मुख्य सचिव को…

मुख्य सचिव (Chief Secretary) भारतीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की प्रशासनिक सेवाओं का वरिष्ठतम पद है। यह भारतीय प्रशासनिक सेवा की संवर्ग स्थिति है। सामान्यतः राज्य के सबसे वरिष्ठ प्रशासनिक सेवा का सबसे वरिष्ठ अधिकारी मुख्य सचिव होता है।
मुख्य सचिव मंत्रिमंडल का सचिव होता है। वह मंत्रिमंडल की बैठकों के कार्य प्रणाली की कार्यसूची तैयार करता है, बैठकों की व्यवस्था करता है, इन बैठकों के रिकार्ड रखता है. मंत्रिमंडल के निर्णयों पर कार्रवाई सुनिश्चित करना उनके विशेष कार्यों में शामिल है।
साथ ही मंत्रिमंडल समितियों की सहायता करता है..
मुख्य सचिव का पद मूलतया ब्रिटिश शासनकालीन केंद्र सरकार की देन है। वर्ष 1799 में तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने इस पद का सृजन किया था । इस पद पर पहली बार जी.एस. बालों बैठे थे। समयांतराल पर स्वतंत्रता प्राप्ति से कई वर्ष पहले ही यह पद केंद्र सरकार से लुप्त होकर राज्य सरकार का पद बन गया था।
मुख्य सचिव राज्य सचिवालय का शासकीय प्रधान होता है। वह राज्य प्रशासन का प्रशासनिक प्रमुख होता है तथा राज्य के प्रशासनिक पदानुक्रम में उसका सर्वोच्च स्थान है, अन्य सचिवों की तुलना में मुख्य सचिव का पद शीर्ष होता है। वस्तुतः मुख्य सचिव सचिवों का प्रमुख है, तथा सचिवालय के सभी विभाग उसके नियंत्रण में होते हैं। वह पूरे राज्य प्रशासन का मुख्य अधिकारी मार्गदर्शक और नियंत्रक है।

मुख्य सचिव राज्य प्रशासन से जुड़े सभी मामलों में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्य करता है। मुख्यमंत्री राज्य के शासन से संबंधित सभी नीतिगत मुद्दों पर मुख्य सचिव से परामर्श करता है। मुख्य सचिव राज्य के मंत्रियों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों से संबंधित प्रशासनिक अड़चनों की जानकारी मुख्यमंत्री को देता है। मुख्य सचिव, राज्य सरकार के सचिवों और मुख्यमंत्री के बीच की कड़ी के रूप में भी कार्य करता है।

वह किसी राज्य के मुख्य प्रशासक, मुख्य सचिव राज्य मंत्रिमंडल के सचिव के रूप में कार्य करता है। वह मंत्रिमंडल सचिवालय का प्रशासनिक प्रमुख होता है तथा आवश्यकतानुसार कैबिनेट और इसकी उपसमितियों की बैठक में भाग लेता है । मुख्य सचिव मंत्रिमंडल की बैठक की कार्यसूची तैयार करता है और बैठक की कार्यवाहीयों का रिकार्ड भी रखता है । वह इन बैठकों में लिए गए निर्णयों को कार्यान्वित करता है ।

मुख्य सचिव राज्य लोकसेवा के प्रमुख के रूप में कार्य करता है। वह राज्य के वरिष्ठ लोकसेवकों की नियुक्ति स्थानांतरण तथा पदोन्नति से जुड़े मामले देखता है । वह राज्य की लोकसेवा के मनोबल को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, यू कहा जाए वह सभी लोकसेवकों की चेतना का रखवाला होता है ।

मुख्य सचिव-राज्य प्रशासन का प्रमुख समन्वयक (तालमेल बैठाए रखने का कार्य करने वाला) है । सचिवालय स्तर पर उसका कार्य अंतर्विभागीय समन्वयन सुनिश्चित करना है । वह, सचिवों को अंतर्विभागीय कठिनाइयों के संबंध में सलाह देता है।

वह,अंतर्विभागीय विवादों के समाधान के लिए गठित समन्वयन समिति का अध्यक्ष होता है। वह विभागों के सचिव की बैठकों की अध्यक्षता भी करता है । सचिवालय स्तर से नीचे के संभागीय आयुक्त जिलाधीशों और जिला प्रशासन के विभागाध्यक्षों की बैठकों/सम्मेलनों की भी अध्यक्षता मुख्य सचिव द्वारा की जाती है और उनके बीच समन्वयन स्थापित किया जाता है ।

मुख्य सचिव, बाढ़, सूखा, सांप्रदायिक दंगों और अन्य आपदाओं के समय अति महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ऐसे समय में वह राहत कार्यों में लगे अधिकारियों और एजेंसियों को मार्गदर्शन और नेतृत्व प्रदान करता है । मुख्य सचिव सामान्यतः संकटकाल के दौरान उच्च स्तरीय निर्णय लेने के लिए गठित समितियों का अध्यक्ष या महत्त्वपूर्ण सदस्य होता है । वास्तविकता यह है कि मुख्य सचिव संकटकाल के प्रमुख प्रशासक के रूप में कार्य करता है और राहत कार्य से संबद्ध सभी अधिकारियों के लिए राज्य सरकार का विशेषरूप से प्रतिनिधित्व करता है।
उदाहरण के तौर पर दो राज्यों के ऐसे मुख्य सचिव हैं जो अपनी विशिष्ट प्रदान कर रहे हैं, प्रथम श्री प्रबोध सक्सेना (मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश),1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और बहुपक्षीय संस्थानों में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उन्होंने 31.12.2022 को हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव के रूप में पदभार संभाला। द्वितीय एसएस संधू 1988 बैच के उत्तराखण्ड कैडर के आईएएस अधिकारी हैं जो अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. मुख्य सचिव बनाए गए हैं। संधू प्रदेश के 17वें मुख्य सचिव के तौर पर कार्य कर रहे हैं. वह मूल रूप से उत्तराखंड कैडर के अफसर हैं। संधू उत्तराखंड सरकार में कई अहम पदों पर रह चुके हैं।
विश्लेषण, मुख्य सचिव को केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है, लेकिन उन्हें ऐसे विषयों पर चुनी हुई सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए, जो उनकी कार्यकारी क्षमता के दायरे में आते हैं। नियुक्ति राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदित होती है, जिसका निर्धारण योग्यता और प्रबल विश्वास के आधार पर किया जाता है।

रिपोर्ट:- अमित कुमार सिन्हा (दिल्ली)

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