कोरोना संकट के बीच इटली के शीर्ष डॉक्टरों का दावा-धीरे-धीरे कमजोर हो रहा कोरोना वायरस-WHO की असहमति…

  • Italy Coronavirus: इटली के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस पिछले एक-दो महीने में काफी कमजोर हो गया है।
  • पहले की तुलना में अब सैंपल्स में यह कम पाया जा रहा है

कोरोना महामारी से लड़ रहे देशों के लिए अच्छी खबर है। इटली के शीर्ष डॉक्टरों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस अपनी क्षमता खो रहा है और यह दो महीने पहले जितना घातक नहीं रह गया है।

लोम्बार्डी के सैन रैफेल अस्पताल के प्रमुख अल्बर्टो जंग्रिलो ने कहा कि कोरोना की घटती क्षमता लोगों के लिए राहत भरी खबर है। क्लीनिकल रूप से कोरोना वायरस अब इटली में मौजूद नहीं है। पिछले 10 दिनों की जांच में जो तथ्य सामने आए हैं, उससे पता चलता है कि वायरस दो महीने पहले की तुलना में अब कमजोर पड़ रहा है।

इटली कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है और कोविड-19 से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों में इटली तीसरे नंबर पर है। हालांकि, मई महीने में यहां संक्रमण के नए मामलों और मौतों में तेजी से गिरावट आई है और यहां कई जगहों पर सख्त लॉकडाउन को खोला जा रहा है।

डॉक्टर जांग्रिलो ने कहा कि कुछ विशेषज्ञ संक्रमण की दूसरी लहर की संभावना को लेकर बहुत चिंतित थे, देश के नेताओं को सच्चाई ध्यान में रखनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमें एक सामान्य देश वापस मिल गया है लेकिन किसी न किसी को देश को डराने की जिम्मेदारी लेनी होगी। इटली की सरकार ने लोगों से सावधानी बरतने का आग्रह करते हुए कहा है कि अभी कोरोना वायरस पर जीत का दावा करना बहुत जल्दबाजी होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय की एक मंत्री सैंड्रा जम्पा ने एक बयान में कहा, कोरोना वायरस खत्म होने वाली बातों के लिए लंबित पड़े वैज्ञानिक प्रमाणों का सहारा लिया जा रहा है। मैं उन लोगों से कहती हूं कि इटली के लोगों को भ्रमित ना करें

अभी सतर्क रहना जरूरी 
जेनोआ के सैन मार्टीनो अस्पताल में संक्रामक बीमारियों के क्लिनिक के हेड मैशियो बसेटी का भी यही कहना है कि दो महीने पहले वायरस जितना शक्तिशाली था, अब नहीं है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दावे को खारिज किया है। WHO का कहना है कि ऐसी धारणाएं नहीं फैलनी चाहिए कि वायरस अचानक से अपने आप कमजोर हो गया है।

ब्रिटेन के बाद यूरोप में अभी भी कोरोना से मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा इटली में ही है। यहां पहला मामला 21 फरवरी को सामने आया था। इन्फेक्शन के नए मामले और मरने वालों की संख्या में मई में गिरावट देखने को मिली और अब सबसे कड़े लॉकडाउन में ढील भी दी जाने लगी है।

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