सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से दो दिन में जवाब मांगा गया है कि वो पार्टी व्हीप के मुताबिक कांग्रेस विधायक दल की दो बैठकों में शामिल क्यों नहीं हुए. सोमवार और मंगलवार को दो दिन, जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई थी. जिसमें सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक शामिल होने की बाध्यता थी. लेकिन वो इन बैठकों में नहीं गए.
अगर इस नोटिस का दो दिन में इन विधायकों ने जवाब नहीं दिया, तो माना जाएगा कि ये विधायक अब कांग्रेस विधायक दल के सदस्य नहीं हैं और इसके बाद इन्हें अयोग्य घोषित किया जा सकता है. इसी आशंका से शायद सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने फिलहाल अपने तेवर कुछ नरम कर लिए हैं और खुद सचिन पायलट सफाई देने में जुट गए हैं.
इन बातों से कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि सचिन पायलट के पास बहुत कम विकल्प बचे हैं. वो अशोक गहलोत की सरकार गिराने की स्थिति में नहीं दिख रहे हैं और फिर ऐसी स्थिति में वो, फिलहाल बीजेपी के लिए भी फायदेमंद नहीं हैं. उनके लिए खुद की पार्टी बनाना भी आसान नहीं है, क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के सामने कोई तीसरा मोर्चा कभी सफल नहीं रहा.
अब सचिन पायलट के पास यही विकल्प बचता है कि वो कांग्रेस में रह कर चुपचाप सब बर्दाश्त करें और ऐसी बातें सुनने के लिए मजबूर हो जाएं, जो बातें अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुलकर उन्हें सुना रहे हैं. गहलोत ने सचिन पायलट को ताना देते हुए, बुधवार को कहा कि सिर्फ अच्छा दिखने से ही कुछ नहीं होता, अच्छी अंग्रेजी बोलने से ही कुछ नहीं होता, सबसे जरूरी होती है- मेहनत और नीयत.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट का नाम तो नहीं लिया, लेकिन नई पीढ़ी के नेताओं से अपनी तुलना करते हुए, उन्होंने ये कहा कि नई पीढ़ी के नेताओं की रगड़ाई नहीं हुई यानी ऐसे नेताओं को ज्यादा मेहनत किए बिना. सब कुछ जल्दी-जल्दी हासिल हो गया, जबकि गहलोत जैसे नेताओं ने 40 साल तक संघर्ष किया, लेकिन नई पीढ़ी ने कभी इस तरह का संघर्ष नहीं किया, इसलिए इन्हें इसकी कीमत समझ में नहीं आती.
कहा जा रहा था कि बुधवार को सचिन पायलट एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं, लेकिन वो प्रेस कॉन्फ्रेंस भी नहीं हुई. वो कैमरे के सामने तो नहीं आए, लेकिन कुछ न्यूज एजेंसियों के जरिए इस मामले में पहली बार अपनी बात रखी. सचिन पायलट ने कहा कि वो ना तो बीजेपी के किसी नेता से मिले हैं और ना ही वो बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.
उन्हें राज्य पुलिस ने सरकार गिराने और राजद्रोह के आरोप में एक नोटिस दिया था, जिससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची. पायलट ने ये कहा कि राजस्थान सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जा रही थी, अफसरों से कहा जाता था कि वो पायलट की बात ना सुनें, महीनों तक कैबिनेट की बैठकें नहीं होती थीं और ये बात उन्होंने कई बार पार्टी के बड़े नेताओं को भी बताई थी.