सोमवार को विश्व हिंदू परिषद की शोभा यात्रा के दौरान नूंह में हुई हिंसा और बवाल के बाद जिले में सांप्रदायिक तनाव फैला रहा। नूंह में हिंसा इतनी बढ़ गई कि उसकी आग जिले के बडकली चौक और गांव सिंगार तक पहुंच गई उपद्रवियों ने गांव सिंगार में जमकर हंगामा काटा और कई गाड़ियां आग के हवाले कर दी। इसी सांप्रदायिक हिंसा और तनाव के बीच प्रेम और सद्भावनाओं की खबरें भी सामने आ रही हैं। गांव सिंगार में सांप्रदायिक झड़प होने पर कुछ मुस्लिम युवकों ने बाइक सवार हिंदू दंपति को उपद्रवियों से बचाकर हिंदू–मुस्लिम भाइचारे की मिशाल कायम की है। दंपति के पीछे हमलावर पड़े थे और वे जान बचाकर भाग रहे थे। जिसके बाद दो मुस्लिम युवकों ने उन्हें शरण देकर उनकी जान बचाई। युवकों ने न केवल उन्हें हमलावरों से बचाया, बल्कि उन्हें पानी भी पिलाया और उन्हें उनके उपर कोई हमला न हो इसके लिए घर के बाहर पहरा देकर उनकी रखवाली भी की और उन्हें आश्वासन दिया कि वे अब सुरक्षित रहेंगे।
पुन्हाना अपने रिश्तेदार को देखने गए थे दंपति
हरिओम निवासी बिछौर ने बताया कि वह सोमवार को अपने एक रिश्तेदार से मिलने के लिए अपने परिवार के साथ पुन्हाना गए हुए थे। जब वह पुन्हाना पहुंचे तो उन्हें पता चला कि नूंह शहर में दो समुदाय के बीच सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई है। लेकिन उन्हें इस बात का आभास नहीं था कि गांव सिंगार में भी इस तरह के हालात हो सकते हैं। हरिओम ने बताया कि करीब 5 बजे वह पुन्हाना से अपने गांव बिछौर आ रहे थे। उनकी बाइक पर उनकी पत्नी और उनकी तीन साल की बेटी बैठी हुई थी। जब वह गांव सिंगार में तिरवाड़ा मोड़ पर पहुंचे तो समाने देखा हजारों उपद्रवियों की भीड़ बेकसूर वाहन चालकों को रोककर उनके साथ मारपीट कर गाड़ियों में आग के हवाले कर रही थी।
खौफनाक मंजर से घबराए दंपति
हरिओम ने बताया कि सामने इतना खौफनाक मंजर था कि उनकी 3 साल की बच्ची और पत्नी पूरी तरह से घबरा गई । उन्होंने मन में सोच लिया था कि अब उनकी जान नहीं बचेगी। हरिओम ने जान बचाने के लिए मोटरसाइकिल को पुन्हाना की तरफ वापस घुमाया और भागने लगे। उनको भागता देख सैकड़ों उपद्रवियों ने उनका पीछा किया ।तभी अचानक भगवान के रूप में दो मुस्लिम युवक मौके पर आ गए और उन्हें शरण दी। दोनों युवकों ने दंपत्ति को न केवल हमलावरों से बचाया बल्कि उन्हें अपने घर लेजाकर पानी पिलाया।
युवकों ने खेतों के रास्ते निकालकर बचाई जान
हरिओम ने बताया कि सिंगार गांव में हिंसा के दौरान उन्होंने दो युवकों के घर करीब 1 घंटे तक समय बिताया। इस दौरान उन्होंने हमलावरों से बचाने के लिए घर पर पहरा भी दिया। जिसके बाद दोनों युवकों ने खेतों के रास्ते बड़ी मुश्किल से उन्हें हमलावरों से बचाकर तिरवाड़ा होते हुए नई के रास्ते अपने गांव भेजा। हरिओम ने बताया कि मौके पर अगर उन्हें हमलावरों से नहीं बचाया जाता तो उनकी जान नहीं बचती।